PM नरेंद्र मोदी अपनी विदेश यात्रा के दूसरे चरण में त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंचे

26 साल के बाद पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री इस देश के दौरे पर

त्रिनिदाद का उत्तर प्रदेश और बिहार से भी खास नाता

त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंचे पीएम मोदी के दौरे की अहमियत को रेखांकित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत के प्रधानमंत्री अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन पहुंचे। एयरपोर्ट पर उनका स्वागत प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर और उनके अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने किया। भारत की तरफ से यह यात्रा ऐतिहासिक है क्योंकि 26 साल बाद कोई प्रधानमंत्री यहां आया है।

इस कैरेबियन देश का यूपी-बिहार से खास नाता
विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस देश में कुल 13 लाख लोग रहते हैं। इनमें से 45 फीसदी लोग भारतीय मूल के हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत और त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बीच संबंध बहुत मजबूत और खास हैं। यहां रहने वाले 45% लोगों में से ज़्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार से आए लोग हैं। इनमें से अधिकांश लोग भोजपुरी भाषी जिलों जैसे छपरा, आरा, बलिया, सीवान, गोपालगंज, बनारस, आज़मगढ़ से आए हैं।

25 साल पुरानी यादें ताजा हो गईं
बतौर प्रधानमंत्री पहली यात्रा पर इस देश में आए पीएम मोदी की इस यात्रा से उनकी 25 वर्ष पहले की उस यात्रा की यादें ताजा हो गईं। उन्होंने यहां विश्व हिंदू सम्मेलन में हिस्सा लिया था। वर्ष 2000 में पोर्ट ऑफ स्पेन में आयोजित इस सम्मेलन में उन्होंने एकता और विश्व कल्याण का आह्वान किया। साथ ही, इस बात पर जोर दिया कि प्रवासी भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजकर रखना चाहिए।

25 साल पहले भाजपा के महासचिव पद पर थे मोदी
सनातन धर्म महासभा की तरफ से 19 अगस्त, 2000 आयोजित सम्मेलन में दुनियाभर से एक हजार से अधिक प्रतिनिधि पहुंचे थे और इसका विषय आत्म-मुक्ति और विश्व कल्याण था। पीएम मोदी उस समय भाजपा के महासचिव पद पर थे। आत्मानं मोक्षार्थं जगत हिताय च के प्राचीन ज्ञान पर केंद्रित उनका मुख्य भाषण आज भी विश्व कल्याण के लिए बेहद प्रासंगिक है, जिसमें उन्होंने पूरी दुनिया की भलाई के लिए आत्म मुक्ति का आह्वान किया था। यह एक बेहद प्रभावशाली आयोजन था, जिसने हिंदू धर्म की उदारता का गहराई से रेखांकित किया।

व्यक्तिगत आकांक्षाओं से उबरना होगा
अपने भाषण में मोदी ने नेताओं से कहा था कि समाज की उन्नति के लिए उन्हें व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को उबरना होगा। सम्मेलन में हिंदू दर्शन के भविष्य, इसकी वैश्विक प्रासंगिकता और हिंदू प्रवासियों की भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया था। मोदी ने उस समय इस कैरेबियाई द्वीप में रहने वाले भारतीय प्रवासियों के साथ भी एक मजबूत संबंध स्थापित किया था। उन्होंने त्रिनिदाद के गांवों का दौरा किया, प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों से मिले और यह जानने की कोशिश की कि वह खुद को यहां की स्थितियों में किस तरह ढाल रहे हैं।

अशोक सिंघल ने बताया था संघ का शेर
सम्मेलन त्रिनिदाद और टोबैगो के तत्कालीन प्रधानमंत्री बासदेव पांडे, आरएसएस सरसंघचालक के सुदर्शन, स्वामी चिदानंद सरस्वती और अशोक सिंघल जैसी प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया था। इसी सम्मेलन में अशोक सिंघल को यह कहते हुए सुना गया, वह संघ का शेर है। इस सम्मेलन के कुछ ही महीनों बाद नवंबर 2000 में मोदी को भाजपा में प्रभारी महासचिव बनाया गया और अगले वर्ष उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।

इससे पहले त्रिनिदाद एंड टोबैगो की सरकार में सचिव रह चुके देव दुग्गल ने कहा, हमें बहुत गर्व है कि प्रधानमंत्री मोदी त्रिनिदाद एंड टोबैगो की यात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। दुग्गल ने बताया कि वे देश की सरकार में कृषि मंत्रालय में रहे। इसके बाद मंत्री का सलाहकार भी रहा। पिछली बार नरेंद्र मोदी 22 साल पहले त्रिनिदाद आए थे। उस समय वे भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि विश्व हिंदू सम्मेलन में भाग लेने आए थे। ऐसे में अब बतौर प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का एक अलग महत्व है।

पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान मिलेगा, मजबूत होगा दोनों देशों का रिश्ता
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को त्रिनिदाद एंड टोबैगो के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के फैसले पर भी टिप्पणी की। देव दुग्गल ने कहा, ‘मुझे बहुत खुशी है कि त्रिनिदाद और टोबैगो ने प्रधानमंत्री मोदी को सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया है। यह बहुत विचार-विमर्श के बाद किया गया है… यह सम्मान दोनों देशों को एक साथ लाएगा। दोनों देश एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। त्रिनिदाद एंड टोबैगो की 50% आबादी भारतीय मूल की है… ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के लिए फायदेमंद है।

 

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