बारिश ने ग्रामीणों की बढ़ाई मुसीबत

मंदसौर :मध्य प्रदेश के मंदसौर में बारिश के बाद नदी-नाले उफान पर हैं। इस बीच, कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो सरकारी सिस्टम पर कई सवाल खड़े करते हैं। एक ओर जहां पुलिया के अभाव में जिंदगी की अंतिम राह भी मुश्किल भरी हो गई है, तो वहीं दूसरी ओर जुगाड़ का पुल बनाकर नाला पार करने को मजबूर हैं।

मुक्तिधाम तक जाने के लिए नाला पार करते लोग
पहली तस्वीर मंदसौर जिले के दलौदा तहसील के मजेसरा नई आबादी गांव की है, जहां दिवंगत के अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों को मुक्तिधाम तक जाने के लिए सोमली नदी को पार करना पड़ता है। पुलिया नहीं होने से लोग नदी में उतरकर मुक्तिधाम तक जाते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, हर साल मानसून से यह परेशानी शुरू हो जाती है, जो नदी में पानी होने तक रहती है।

नदी उफान पर होने के कारण कई बार अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार भी करना पड़ता है। यह मुक्तिधाम सीधे पहुंचने का रास्ता है, जो गांव से महज 500 मीटर दूर है। वहीं, घूमकर जाने पर रास्ते की दूरी 2/3 किमी से ज्यादा हो जाती है। लिहाजा लोग ज्यादातर इसी शार्टकट मार्ग का इस्तेमाल करते हैं और इसे सुगम बनाने के लिए कई सालों से मांग भी कर रहे हैं।
खेतों की राह में मुश्किल बना नाला
वहीं, दूसरी तस्वीर जिले के ही शामगढ़ तहसील के सागोरिया गांव की है। यहां एक नाला जब लोगों के खेतों की राह में मुश्किल बना और सरकार ने मदद नहीं की, तो अपने निजी खर्च से लोगों ने लकड़ी से जुगाड़ का पुल बना लिया। अब ग्रामीण इसी जुगाड़ के पुल पर चलकर सगोरिया और चांदखेड़ी गांव तक का सफर कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि क्या यह सही है?
ग्रामीणों ने लकड़ी का बनाया पुल
तस्वीरों में देखा जा सकता है कि जुगाड़ के पुल के नीचे नाला बह रहा है। ऐसे में कभी भी यहां के लोग किसी हादसे का शिकार हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि ग्रामीणों ने कई बार नाले पर पुल बनाने की मांग नेताओं और अधिकारियों से की। खुद सासंद और विधायक भी इस पुल से गुजर चुके हैं, बावजूद किसी ने नहीं सुनी। ऐसे में ग्रामीण जुगाड़ का यह पुल जान को जोखिम में डालने वाला है‌। ग्रामीणों का कहना है कि इसके अलावा अगर सड़क मार्ग का सहारा लेते हैं, तो 15-20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button