दिल्ली में 45 % वोटर युवा मतदाता, 40 साल से कम के

दिल्ली:दिल्ली में कुल 1,47,18,119 मतदाता हैं जिनमें से 40 वर्ष से कम आयु के मतदाताओं की संख्या 66,45,299 है। इस तरह से लगभग 45 फीसदी मतदाता युवा हैं। मतदाता सूची के अनुसार, राजधानी में 18 से 30 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 17.43 प्रतिशत है। इसके बाद सबसे ज्यादा मतदाता 30 से 39 वर्ष उम्र के हैं। इस उम्र वर्ग के 27.70 प्रतिशत मतदाता हैं। यदि 18 से 39 वर्ष की उम्र के सभी मतदाताओं को एक साथ मिला दें तो 18 से 39 वर्ष के उम्र के मतदाताओं की संख्या 45.15 प्रतिशत है। वहीं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में कुल 1,43,16,453 मतदाता थे, जिनमें 40 वर्ष से कम आयु वाले मतदाताओं की संख्या 75,51,416 थी। इस तरह से लगभग 53 फीसदी मतदाता युवा थे। इस बार 18-19 वर्ष और 20-29 वर्ष के मतदाताओं की संख्या बीते लोकसभा चुनाव से काफी कम है।

मैंने वोट किया, गजब फीलिंग देता है
जब 18 साल का नहीं हुआ था तो वोट देने के लिए बेचैनी थी। जब भी चुनाव होता तो सोचता रहता था कि किसी प्रत्याशी को वोट देने पर कैसी खुशी होती होगी। यूथ की काबिलियत केवल मेट्रो लाइन बदलने तक सीमित नहीं है, वह मताधिकार का इस्तेमाल करके शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास यहां तक की सरकार को भी बदल सकता है। वोट देश में आने वाले अच्छे बदलावों की शुरुआत है। इसके बाद ही नेता से बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। मैंने भी वोट दिया है, यह कहना बेहद संतोषजनक होता है। सभी लोग वोट जरूर डालें।

युवा मतदाताओं के अपने कई मुद्दे हैं। इनमें शिक्षा, रोजगार, कानून व्यवस्था, कौशल विकास और सुविधाएं आदि शामिल हैं। शिक्षा के लिए व्यवस्था ऐसी हो कि रोजगार मिले, कानून व्यवस्था मजबूत हो खासतौर पर युवतियों के लिए यह महत्वपूर्ण हैं। युवाओं के लिए सुविधाएं भी महत्वपूर्ण हैं। इसमें बिजली, पानी, परिवहन आदि शामिल है। कौशल विकास की बात करें तो यह भी जरूरी है, युवाओं को शिक्षा के साथ ही कौशल विकास पर जोर होता है, ताकि शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें कौशल विका के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े।
नफा-नुकसान वाले मुद्दे नहीं भाते
कल्पनाशील, स्वप्नदर्शी होने के साथ युवा ऊर्जावान होते हैं, तभी उन्हें निजी तौर पर नफा-नुकसान करने वाले मुद्दे नहीं भाते। इसकी जगह वह ऐसे मुद्दों के साथ जाना पसंद करते हैं, जो समाज व देश से जुड़े हों। इसकी झलक अन्ना व निर्भया आंदोलन के दौरान दिल्ली की सड़कों पर दिखी थी। युवाओं को सरकार से फ्री सुविधा नहीं चाहिए। इसकी जगह उनकी दृष्टि दीर्घकालिक होती है। युवाओं को आजादी चाहिए। ऐसे अंकुश वह बर्दाश्त नहीं करते, जो उनकी ताकत को रोकते हैं। वह विद्रोह भी कर सकते हैं।
-प्रो.संजय भट्ट, समाज विज्ञानी और सेवानिवृत्त प्रोफसर, सामाजिक कार्य विभाग, डीयू

60 वर्ष से अधिक की आयु के 23 लाख मतदाता
चुनाव में बुजुर्ग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं, इसलिए बीते चुनावों में बुजुर्ग मतदाताओं की भागीदारी अधिक देखी गई है। लोकसभा चुनाव में इस बार 60 वर्ष से अधिक उम्र के 23,07,241 मतदाता हैं। इसमें करीब 2.63 लाख मतदाता 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, इसलिए बुजुर्ग मतदाता भी चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगगे। चुनाव आयोग को उम्मीद है कि बुजुर्ग इस बार भी मतदान से लोकतंत्र को मजबूत करेंगे और युवाओं में मतदान के लिए जोश भरेंगे।

घर बैठकर मतदान की मिलेगी सुविधा
बुजुर्गों और दिव्यांगो को घर बैठकर मतदान करना है तो उन्हें फॉर्म 12डी भरना होगा। वे चुनाव आयोग में इसके लिए आवेदन करेंगे, तो फिर चुनाव आयोग की एक टीम घर जाकर मतदान करवाएगी। दिल्ली में कुल दिव्यांग व बुजुर्ग मतदाताओं की संख्या 2.71 लाख से अधिक है। इसमें 80 साल से अधिक बुजुर्ग मतदाता 2.63 लाख से अधिक है। 85 साल से अधिक के बुजुर्ग करीब 2 लाख है। दिव्यांग 71,794 हैं।

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