जातीय जनगणना: आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत होगा समाज – केशव मौर्य

कांग्रेस हमेशा ही जातीय जनगणना का विरोध करती रही

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि जातीय जनगणना से समाज और आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत होगा। इससे देश की प्रगति को पंख लग जाएंगे। देश में एक नई ऊर्जा का संचार होगा जो विकसित भारत में सहायक होगा। जातीय जनगणना के मोदी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि मोदी जी जैसी दृढ़ इच्छाशक्ति शक्ति वाला नेता ही यह फैसला ले सकता है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कई दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस हमेशा ही जातीय जनगणना का विरोध करती रही है। कटु सच्चाई यह है कि पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में देश की कमान आने के बाद ही कांग्रेस को पिछड़ा वर्ग का ख़्याल आया। उसके बाद कांग्रेस पिछड़ा वर्ग का राग अलापने लगी।

कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने 2010 में लोकसभा में आश्वासन दिया था कि कैबिनेट में जातीय जनगणना पर विचार किया जाएगा तब अधिकांश दल सामाजिक न्याय की बात कर रहे थे। तबके गृहमंत्री पी चिदंबरम ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जातियों की गिनती जनगणना में नहीं, बल्कि अलग से कराई जाएगी।

कांग्रेस सरकार ने जातीय जनगणना के बजाय एक सर्वे कराना उचित समझा जिसे एसइसीसी के नाम से जाना जाता है, उस पर 4893.60 करोड़ रुपए फूंक दिए। इसमें गलतियां पाईं गई। जुलाई 2015 में इसका खुलासा हुआ। कांग्रेस और इंडी गठबंधन के बाकी दलों ने नाहक रूप से जातीय जनगणना के अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने 2010 में लोकसभा में आश्वासन दिया था कि कैबिनेट में जातीय जनगणना पर विचार किया जाएगा तब अधिकांश दल सामाजिक न्याय की बात कर रहे थे। तबके गृहमंत्री पी चिदंबरम ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जातियों की गिनती जनगणना में नहीं, बल्कि अलग से कराई जाएगी।

कांग्रेस सरकार ने जातीय जनगणना के बजाय एक सर्वे कराना उचित समझा जिसे एसइसीसी के नाम से जाना जाता है, उस पर 4893.60 करोड़ रुपए फूंक दिए। इसमें गलतियां पाईं गई। जुलाई 2015 में इसका खुलासा हुआ। कांग्रेस और इंडी गठबंधन के बाकी दलों ने नाहक रूप से जातीय जनगणना के अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया, जबकि वह इस मामले में क़तई गंभीर नहीं थे। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने जातिगत सर्वे कराया था, लेकिन उसे कभी सार्वजनिक नहीं किया। जो आंकडे जुटाए भी थे, उनमें पारदर्शिता का घोर अभाव था। सीधी बात है कि जातिगत जनगणना, जनगणना के साथ ही संभव हो सकती है।

भारतीय जनता पार्टी ने कभी भी जातीय जनगणना का विरोध नहीं किया। गृहमंत्री अमित शाह ने कई दफ़ा यह स्पष्ट किया कि भाजपा जनगणना के खिलाफ नहीं है। भाजपा ने बिहार में भी जातीय जनगणना का समर्थन किया था। उन्होंने 18 सितंबर, 2024 को एलान किया था कि इस फ़ैसले को जनगणना की घोषणा के वक्त एलान किया जाएगा और आज वह घड़ी आ गई।

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