जम्मू-कश्मीर के स्कूलों को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम

सरकारी कर्मियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ेंग

जम्मू: सरकारी स्कूलों की दशा-दिशा सुधारने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग कर्मचारियों के बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में ही कराने की अनिवार्यता पर विचार कर रहा है। स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) निदेशक, जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (जेकेबीओएसई) सचिव, स्कूल शिक्षा निदेशक जम्मू-कश्मीर और परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा अभियान को इस बाबत स्कूल शिक्षा विभाग ने नागरिक प्रस्ताव भेजा है। इसमें सुझाव दिया गया है कि सरकारी कर्मचारी अपने बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाएं।

स्थानीय संगठन ने भेजा प्रस्ताव
दरअसल, पिछले साल अगस्त में एक स्थानीय संगठन ने उपराज्यपाल सचिवालय की निगरानी और शिकायत प्रकोष्ठ को प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव पर ध्यान आकर्षित किया था। इसमें कहा गया था कि सरकारी स्कूलों में बेहतर सुविधाओं, मानकों का पालन और समग्र प्रदर्शन के लिए सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी व प्रत्यक्ष भागीदारी सरकारी शिक्षा प्रणाली में लाना जरूरी है। सचिवालय से स्कूल शिक्षा विभाग को इसे भेजा गया था। यही नहीं, आवश्यक कार्रवाई करने और सचिवालय को रिपोर्ट पेश करने को भी कहा गया था। निदेशक जम्मू ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों (सीईओ) से इस पर सुझाव मांगा था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया था ऐसा ही एक फैसला
वर्ष 2015 में यूपी की बदहाल प्राथमिक शिक्षा पर कड़ी चोट करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक आदेश दिया था। अदालत ने साफ कहा था कि मंत्रियों, नेताओं, आईएएस व पीसीएस अफसरोंए जजोंए सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी प्राथमिक स्कूलों में ही पढ़ाया जाए। निगम, अर्द्धसरकारी संस्थानों या जो कोई भी राज्य के खजाने से वेतन ले रहा है, उनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना अनिवार्य किया जाए। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश पर कोई ध्याान नही दिया गया और न ही ऐसी व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिये प्रदेश की योगी सरकार ने कोई पहल की।

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