बिलावल की US जोरदार बेइज्जती, पाक प्रतिनिधिमंडल को आतंकवाद पर खूब सुनाया

अमेरिकी सांसद बोले- जैश का खत्मा करो

वाशिंगटन : एक वरिष्ठ अमेरिकी सांसद ने आतंकवाद पर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को खूब जमकर खरी खरी सुनाई. बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में आए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से कहा है कि पहले आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करो. साथ ही धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाओ. इसके अलावा ओसामा बिन लादेन को मारने में अमेरिका की मदद करने वाले डॉक्टर अफरीदी की रिहाई का मुद्दा उठाया.

एक वरिष्ठ अमेरिकी सांसद ने बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में आए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से कहा है कि देश को “घृणित” आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करने के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘हर संभव प्रयास’ करना चाहिए.

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को यहां कांग्रेस सदस्य ब्रैड शेरमन से मुलाकात की. उनका अमेरिकी राजधानी का दौरा लगभग उसी समय हुआ है जब कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय सांसदों का बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन डीसी में है.

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रमुख वार्ताकारों को पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर ऑपरेशन सिंदूर तथा पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद से लड़ने के भारत के दृढ़ संकल्प के बारे में जानकारी दे रहा है. एक्स पर एक पोस्ट में शेरमन ने कहा कि उन्होंने ‘पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को आतंकवाद से लड़ने के महत्व पर बल दिया, विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद समूह से जिसने 2002 में मेरे नागरिक डेनियल पर्ल की हत्या कर दी थी.’

इस मामले में आतंकी उमर सईद शेख को उसी साल हत्या व अन्य मामले में दोषी ठहराया गया था. डेनियल पर्ल वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर थे. शेरमन ने कहा कि पर्ल का परिवार अभी भी उनके जिले में रहता है और पाकिस्तान को इस घृणित समूह को खत्म करने और क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.

बिलावल भुट्टो भी थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ ही अमेरिका पहुंचे. भुट्टो ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से न्यूयॉर्क में मुलाकात की. साथ ही सुरक्षा परिषद के राजदूतों से भी मुलाकात की. बाद में भारत के साथ संघर्ष और कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश में वाशिंगटन की यात्रा की, लेकिन इसके बजाय उन्हें अपनी धरती से पैदा होने वाले आतंकवाद से निपटने के निर्देश दिए गए.

अमेरिकी सांसद ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को यह भी बताया कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है. पाकिस्तान में रहने वाले ईसाइयों, हिंदुओं और अहमदिया मुसलमानों को हिंसा, उत्पीड़न, भेदभाव या असमान न्याय प्रणाली के डर के बिना अपने धर्म का पालन करने और लोकतांत्रिक व्यवस्था में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.

 

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