संभल जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले की सुनवाई अब 21 जुलाई को!
यह मामला पहले सुप्रीम कोर्ट और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट तक गया था

चंदौसी (संभल) : संभल की शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर के दावे को लेकर बृहस्पतिवार को चंदौसी स्थित सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य कुमार सिंह के न्यायालय में सुनवाई हुई। अब अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी। बताते चलें कि मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
हालांकि हाईकोर्ट ने 19 मई को ट्रायल कोर्ट के सर्वे के आदेश को बरकरार रखते हुए निचली अदालत में सुनवाई के आदेश दिए थे। 19 नवंबर 2024 को संभल की शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे को लेकर कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, अधिवक्ता हरिशंकर जैन समेत आठ लोगों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य कुमार सिंह के न्यायालय में वाद दायर किया था।
वादी पक्ष के अधिवक्ता श्रीगोपाल शर्मा ने बताया कि इस मामले में जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी पहले पहले सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में न्यायालय में दाखिल होगी के आदेश करते हुए इंतजामिया कमेटी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेज दिया। जहां कई दौर में सुनवाई हुई।
19 मई 2025 को इंतजामिया कमेटी की याचिका खारिज हो गई। उन्होंने बताया कि जो आदेश न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य कुमार सिंह जनपद संभल ने दिया था। उसे उच्च न्यायालय ने सही माना। उसी परिपेक्ष्य में वादी पक्ष की ओर से बृहस्पतिवार को 19 मई 2025 के आदेश की प्रति न्यायालय में दाखिल की और न्यायालय से प्रार्थना की कि विपक्षी संख्या पांच और छह का जवाब दावा नहीं आया है।
उनका जवाब देने का अवसर भी समाप्त किया जाए। न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 21 जुलाई नियत कर दी है। इस दौरान एएसआई के अधिवक्ता विष्णु कुमार शर्मा भी थे।
ये थे इंतजामिया कमेटी की दायर याचिका के तीन बिंदू
- इस मुकदमे की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल जज सीनियर डिवीजन जनपद संभल नहीं है।
सरकार के खिलाफ कोई भी दावा करे से 60 दिन पहले नोटिस देना पड़ेगा।
सर्वे का आदेश वादी पक्ष को नहीं दे सकते हैं।
संभल की शादी जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे के मामले दायर किए गए मुकदमे में पक्षकार बनने के लिए गाजियाबाद के सिमरन गुप्ता ने सिविल जज सीनियर डिवीजन जनपद संभल स्थित चंदौसी में प्रार्थना पत्र दिया है। जिसमें उनका कहना है कि हम सनातनी हैं हमें भी उक्त मुकदमे में पक्षकार बनाया जाए। न्यायालय ने वादी व प्रतिवादी पक्ष से 21 जुलाई तक आपत्ति मांगी है।