रिटायर्ड वैज्ञानिक से 1.29 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा
लखनऊ से पकड़े गए चार साइबर ठग

लखनऊ : उत्तर प्रदेश एसटीएफ को एक बड़ी सफलता मिली है। टीम ने 5 जुलाई को एक ऐसे ठग गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट में लेकर करोड़ों की ठगी करते थे। गिरोह ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से रिटायर्ड वैज्ञानिक डॉ. शुकदेव नंदी से इसी तरह 1.29 करोड़ रुपये की ठगी की थी। एसटीएफ ने लखनऊ से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान श्याम कुमार (सीतापुर), रजनीश द्विवेदी (गोंडा), सुधीर कुमार चौरसिया (गोंडा) और महेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ चन्दन सिंह (बलरामपुर) के रूप में हुई है। सभी वर्तमान में लखनऊ में अलग-अलग ठिकानों पर रह रहे थे।
दरअसल डॉ. शुकदेव नंदी को एक अज्ञात व्हाट्सएप कॉल आया था, जिसमें कॉलर ने खुद को बेंगलुरु सिटी पुलिस बताया था। कॉलर ने कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल ह्यूमन ट्रैफिकिंग और जॉब फ्रॉड में हुआ है और उनके बैंक खाते में अवैध रकम आई है। इसके बाद कॉलर ने उन्हें कथित सीबीआई अफसर दया नायक से बात करने को कहा। जिसने डरा धमकाकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट में लेते हुए तीन दिनों तक अलग-अलग खातों में कुल 1.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए थे।
कुछ समय बाद जब डॉ. नंदी को ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने 26 जून को साइबर थाना बरेली में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले की जांच साइबर थाना बरेली द्वारा की जा रही थी, जिसमें एसटीएफ से सहयोग मांगा गया था। इसी क्रम में यूपी एसटीएफ टीम ने अभिसूचना संकलन और तकनीकी निगरानी के बाद जानकारी जुटाई कि गिरोह के कुछ सदस्य गोमतीनगर विस्तार स्थित फ्लाईओवर के पास मौजूद हैं। वहां दबिश देकर चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनके पास से 6 मोबाइल फोन, 6 एटीएम कार्ड और 4 चेकबुक बरामद हुई हैं।
ऐसे होता था गिरोह का संचालन
गिरफ्तार आरोपी सुधीर चौरसिया ने पूछताछ में बताया कि वह वाराणसी में अंकित नाम के एक व्यक्ति के संपर्क में आया था। जिसने उसे दीपक नाम के शख्स से मिलवाया था। दीपक गिरोह का मास्टरमाइंड है और अलग-अलग खातों में रकम ट्रांसफर कराकर कमीशन देता था। सुधीर और उसके साथियों का काम ऐसे बैंक खातों का प्रबंध करना था, जिनमें पैसा मंगवाकर फिर नकद निकाला जाता था और क्रिप्टोकरेंसी (USDT) के रूप में दीपक के वॉलेट में भेज दिया जाता था।