कनाडा : जहां कभी खालिस्तानियों का हिंदू विरोधी एजेंडा चलता था वहां दिखाई दिए आरएसएस के झंडे

कनाडा : खालिस्तानी साजिशों के गढ़ बने कनाडा से कुछ सकारात्मक तस्वीरें सामने आई हैं. वो भारत के लिए कुछ ऐसा ही संदेश दे रही हैं. आज से पहले आपने कनाडा में भारत के खिलाफ कट्टरपंथी और अलगाववादी खालिस्तानियों को झंडे के साथ उग्र प्रदर्शन करते देखा होगा. जिसका मकसद भारत के खिलाफ घृणा फैलाना होता है. लेकिन आज आपको कनाडा की सड़कों पर बेहद अनुशासित और शांत तरीके से हुई RSS की ओवरसीज़ विंग हिंदू स्वयंसेवक संघ की परेड की हमारी यह खबर पढ़नी चाहिए. जिसमें भगवा ध्वज के साथ कनाडा का झंडा भी मौजूद था.
कनाडा में आरएसएस के सहयोगी संगठन हिंदू स्वयंसेवक संघ की परेड ठीक वैसी ही थी, जैसा भारत में आरएसएस का पथ संचलन होता है. कनाडा की परेड में भी स्वयंसेवकों के हाथ में लाठियां थी. इसके अलावा ड्रम और बांसुरी वाले घोष के साथ वो धुन बजाते हुए सड़क पर आगे बढ़ रहे थे. ये परेड कनाडा डे यानी कनाडा के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित की गई. जिसमें 128 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया.
आज आपको कनाडा के टोरंटो मे आयोजित इस परेड के अनुशासन और समर्पण को भी बहुत ध्यान से देखना चाहिए. इस अनुशासन और कनाडा के झंडे के लिए सम्मान को देखकर कनाडा के लोगों पर हिंदू संस्कृति का बहुत सकारात्मक असर पड़ा. इस परेड को देखने सड़क के दोनों तरफ स्थानीय लोग मौजूद थे और परेड को देखकर तालियां भी बजाते रहे. आज आप भी कनाडा में भगवा ध्वज के सम्मान को इन तालियों की आवाज से महसूस कर सकते हैं.
किसी भी देश के नागरिक यही चाहते हैं. जो भी प्रवासी उनके देश में आएं, वो अनुशासित हों, हंगामा और हिंसा ना करते हों और जिस देश में रहें उससे प्रेम करें. संघ के स्वयंसेवकों की परेड ने साबित भी किया कि भारत की संस्कृति ऐसी ही है. आपको कनाडा में हुई इस परेड के संदेश को भी जानना चाहिए और ये भी समझना चाहिए कि इस परेड को देखकर खालिस्तानियों को दर्द क्यों हो रहा होगा, उनके सीने पर सांप लोट गए होंगे.
– इस परेड से भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों ने राष्ट्रभक्ति का प्रदर्शन किया.
– इससे संदेश गया कि हिंदू समाज कनाडा का सम्मान करता है और वहां की मुख्यधारा का हिस्सा है.
– कनाडा डे की परेड में भगवा ध्वज की मौजूदगी बता रही है…हिंदू संगठन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विचारधारा को विदेशों में शांतिपूर्ण तरीके से लेकर जा रहे हैं.
लेकिन कनाडा में मौजूद जिन खालिस्तानियों को ये परेड देखकर सबसे ज्यादा परेशानी हो रही होगी. कनाडा की सड़कों पर भगवा झंडे को देखकर सबसे ज्यादा डर लग रहा होगा. क्योंकि खालिस्तानी जब कुछ करते हैं तो भारत विरोधी साजिश करते हैं, दंगा करते हैं. मंदिरों में तोड़फोड़ करते कराते हैं. ये खालिस्तानी आतंकी भारतीय मंदिरों पर भड़काऊ स्लोगन लिखते हैं. लेकिन राजधानी टोरंटो शहर में हिंदू स्वयंसेवक संघ ने भगवा झंडे के साथ शांतिपूर्ण परेड की. लेकिन टोरंटों में खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने स्वामीनारायण मंदिर में भड़काउ स्लोगन लिखे. मंदिर को अपवित्र करने की कोशिश की. यहां के हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने की कोशिश की.
कनाडा के सरे में भी खालिस्तानियों ने हिंदू मंदिर पर हमला किया. यहां लक्ष्मी नारायण मंदिर में भड़काउ स्लोगन लिखे गए. ये खालिस्तानी हिंसा और अलगाववाद का झंडा लेकर चलते हैं. लेकिन हिंदू स्वयंसेवक संघ, शांति और वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देने वाले झंडे से भारतीय संस्कृति का प्रचार कर रहा है. आज आपको समझना चाहिए इस परेड से कनाडा में खालिस्तानी एजेंडा कैसे एक्सपोज़ हुआ.
जहां खालिस्तानी कट्टरपंथी भारत को बांटने का सपना देखते है, वहीं HSS की भगवा परेड ने कनाडा की धरती पर भारतीय संस्कृति की एकता का सपना दिखाया. इसीलिए ये परेड देखकर खालिस्तानी बहुत बेचैन होंगे. अब आपको राष्टीय स्वयं सेवक संघ को करीब से जानने वालों से भी इस परेड के असर को समझना चाहिए.
खालिस्तानियों को सिर्फ कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की परेड से धक्का नहीं लगा. जस्टिन ट्रूडो के जाने के बाद जबसे मार्क कार्नी के हाथ में कनाडा की सत्ता आई है. भारत को लेकर कनाडा के रवैए में भी बदलाव दिखाई दे रहा है. पहली बार कनाडा की खुफिया एजेंसी ने स्वीकार किया है कि खालिस्तानी कनाडा की जमीन से भारत के खिलाफ चरमपंथी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. यानी जो बात भारत कहता रहा है. अब कनाडा भी उसे स्वीकार कर रहा है. आज आपको कनाडा में खालिस्तानियों से हमदर्दी दिखाने वाले जस्टिन ट्रूडो और मार्क कार्नी के दौर में आए बदलाव को भी समझना चाहिए.
यानी ट्रूडो के जाने के बाद भारत और कनाडा के संबंध मजबूत हुए हैं. ये संबंध जैसे जैसे मजबूत होते जाएंगे, कनाडा में पनप रहे खालिस्तानी आतंकियों की साजिशें उतनी ही कमजोर पड़ती जाएंगी.