पंचायत चुनाव में एक कर्नल और महिला आईपीएस निर्विराध चुने गये

उत्तराखंड की सियासत में बदलाव की बयार

देहरादून : देश के कई हिस्सों में जहां पंचायत चुनाव जातीय समीकरणों, वंशवाद और राजनीतिक जोड़-तोड़ की खबरों से घिरे होते हैं, वहीं उत्तराखंड के शांत पहाड़ी गांवों में एक नई सुबह का सूरज उग रहा है। यहां लोकतंत्र को उसका असली रूप मिल रहा है। न स्वार्थ से, न सत्ता से, बल्कि सेवा से प्रेरित नेतृत्व। रिटायर्ड सेना अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अफसर और प्रशासनिक सेवा से जुड़े लोगों ने अब गांवों की बागडोर संभालने का बीड़ा उठाया है। यह सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि सामाजिक पुनर्जागरण की शुरुआत है।

पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक की बिरगण पंचायत इस बार चर्चा में है- वजह हैं रिटायर्ड कर्नल यशपाल सिंह नेगी, जिन्हें ग्रामीणों ने निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनने का फैसला किया है। सेना से 2020 में रिटायर होने के बाद कर्नल नेगी ने पहाड़ में 30 नाली जमीन पर खेती शुरू कर दी। जहां अधिकांश लोग शहर की ओर पलायन करते हैं, उन्होंने ‘रिवर्स पलायन’ को बढ़ावा देकर गांवों को फिर से बसाने की पहल की।

उनकी पहल केवल ग्राम प्रधान बनना नहीं, बल्कि गांव को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाना है। वर्दी से सेवा शुरू करने वाले कर्नल नेगी अब एक नई वर्दी जनता का विश्वास पहनकर नेतृत्व की मिसाल बन रहे हैं।

पिथौरागढ़ जिले के सीमांत गांव गुंजी, जो भारत-चीन सीमा पर बसा है, वहां एक ऐतिहासिक पहल देखने को मिल रही है। आईपीएस विमला गुंज्याल, जो उत्तराखंड पुलिस में आईजी पद से सेवानिवृत्त हुईं, अब अपने पैतृक गांव की सेवा के लिए चुनावी मैदान में उतरी हैं।

जब अधिकांश लोग रिटायरमेंट को विश्राम मानते हैं, विमला जी ने उसे नई जिम्मेदारी का आरंभ माना। उनके नाम पर गांव में सकारात्मक चर्चा है, और यदि सर्वसम्मति बनी, तो वे उत्तराखंड की पहली महिला आईपीएस ग्राम प्रधान बन सकती हैं।

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