आरटीई के तहत प्रवेश न देने पर स्कूलों पर कार्रवाई
सीएमएस-जयपुरिया स्कूलों की खत्म होगी मान्यता

लखनऊ : निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत चयनित आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश न देने वाले राजधानी के नामचीन स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) राम प्रवेश ने सोमवार को सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) की 17 शाखाओं, गोमती नगर स्थित एमआर जयपुरिया, बालगाइड व विश्वनाथ एकेडमी की एनओसी रद्द करने और मान्यता समाप्त करने की संस्तुति संयुक्त शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) को भेजी है।
इन स्कूलों ने आरटीई के तहत चयनित बच्चों को दाखिला देने में लगातार टालमटोल की। जून महीने के अंत तक बार-बार चेतावनी और समय दिए जाने के बावजूद अधिकतर स्कूलों ने तय सीमा 30 जून तक बच्चों को दाखिला नहीं दिया। कुछ स्कूलों ने नाममात्र प्रवेश देकर कार्रवाई से बचने की कोशिश की, लेकिन शिक्षा विभाग ने अब कड़ा रुख अपनाते हुए सिफारिश भेज दी है। शहर के निजी स्कूलों की इस जिद के कारण करीब 3000 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। शिक्षा विभाग अब इन स्कूलों की मान्यता रद्द करने की कानूनी प्रक्रिया पर तेजी से आगे बढ़ेगा।
सिटी मांटेसरी स्कूल की इन शाखाओं पर होगी कार्रवाई
बीएसए के मुताबिक सिटी मांटेसरी स्कूल प्रबंधन ने 17 शाखाओं में एक भी बच्चे का प्रवेश नहीं लिया है। इसमें सीएमएस अलीगंज प्रथम व द्वितीय, गोमती नगर, राजेंद्र नगर की तीनों शाखाएं, राजाजीपुरम, महानगर, कानपुर रोड, आनंद नगर, चौक, अर्शफाबाद, इंदिरानगर, जॉपलिंग रोड, राजाजीपुरम सेक्टर-1, सीएमएस स्टेशन रोड, सीएमएस आरडीएसओ का नाम है। कुल 41 बच्चों के नाम भेजे गए थे। महज 20 बच्चों को प्रवेश मिल सका। ये प्रवेश एक प्रतिशत भी नहीं है।
जयपुरिया ने जवाब भी देना जरूरी नहीं समझा
बीएसए ने बताया कि गोमती नगर सि्थत एमआर जयपुरिया स्कूल के प्रबंधन ने चारों चरणों में एक भी बच्चे का प्रवेश नहीं लिया है। इस संबंध चार नोटिस दिए गए, लेकिन जवाब नहीं आया। जयपुरिया में पिछला आकड़ा देखिए तो आरटीई का पालन नहीं किया गया।
अंतिम चरण में नौ प्रवेश, फिर भी एक्ट का उल्लघंन
विश्वनाथ एकेडमी में विभाग के मुताबिक अंतिम चरण में नौ बच्चों का प्रवेश लिया गया, लेकिन पहले से लेकर तीसरे चरण में एक भी बच्चे का प्रवेश नहीं लिया गया। ऐसे में 25 फीसदी सीटों पर चयनित बच्चों का प्रवेश होना चाहिए।
बालगाइड ने जिला प्रशासन की भी नहीं सुनी
बालगाइड स्कूल प्रबंधन ने जिला प्रशासन की भी नहीं सुनी। इस विद्यालय में प्रवेश कराने की जिम्मेदारी डीएम ने एसडीएम मोहनलालगंज अंकित शुक्ला को सौंपी थी। वह मौके पर गए भी। स्कूल प्रबंधक ने आश्वासन के भी बाद भी बच्चों को प्रवेश नहीं दिया।
25% सीटों पर प्रवेश ही नहीं दिया
शहर के कई स्कूलों में 10 वर्षों के आकड़े देखें तो पता चलता है कि बड़े संस्थानों ने आरटीई के तहत निर्धारित 25% सीटों पर प्रवेश ही नहीं दिया। इस बार भी वही हाल हुआ। अगर ये स्कूल मानक के अनुसार प्रवेश देते तो आज 3000 हजार बच्चे घर पर न बैठे होते।