सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकारों की खोली पोल, बचा लिए 3400 करोड़ .

पूर्वांचल एक्सप्रेस को लेकर समाजवादी पार्टी पर तंज

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, विशेष रूप से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को लेकर पिछली सरकारों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोली। उन्होंने बताया कि 2016 में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का शिलान्यास तो हुआ, लेकिन जमीन अधिग्रहण और परियोजना की योजना तक तय नहीं थी।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव, अक्सर यह दावा करते हैं कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का काम उनकी सरकार में शुरू हुआ. अब इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा दावा किया है. सीएम के इस दावे से यूपी में सियासी हलचल तय मानी जा रही है. उन्होंने कहा है कि साल 2016 में एक्सप्रेस वे का शिलान्यास तो हुआ लेकिन जमीन नहीं आवंटित की गई थी. न ही इसका अलाइनमेंट तय था.

सीएम ने कहा कि हम लोग जब आए (साल 2017 में सत्ता में) तो हमें बताया गया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बन रहा है. मार्च (साल 2017)में हमने शपथ ली. मई में मैं इसकी समीक्षा कर रहा था. तो मैं तो प्रोग्रेस के लिए समीक्षा कर रहा था. प्रगति कितनी हुई है. तो मुझे बताया गया कि अभी काम शुरू नहीं हुआ है. मैंने पूछा क्यों? मैंने तो सुना है कि सीएम ने साल 2016 में ही शिलान्यास कर दिया था. उन्होंने (अधिकारियों ने) कहा- ‘शिलान्यास हुआ है लेकिन लैंड नहीं है.’

सीएम ने कहा कि अब आप अनुमान करिए कि शिलान्या हो गया लेकिन लैंड नहीं है. मैंने लैंड अक्वायर करने के लिए कहा तो कहा गया कि अभी अलाइन्मेंट नहीं तय है. हिन्दी अखबार अमर उजाला के एक कार्यक्रम में सीएम ने कहा तो मैंने पूछा कि शिलान्यास किसका हुआ है? मैंने सुना है कि इसमें ठेके भी आवंटित कर दिए गए हैं. तो मुझे बताया गया कि हां वो सब हो चुका है.

‘15,200 करोड़ में टेंडर तय हुआ’
सीएम योगी ने कहा, ‘मैंने कहा कि लैंड एक्वायर करो तो कहा कि सर अभी अलॉटमेंट भी नहीं तय है कि कहां पर बनाना है तो मैंने कहा शिलान्यास किसका हुआ। उन्होंने कहा बनता रहेगा पहले शिलान्यास कर लेते हैं। मैंने कहा कि इसमें ठेके भी आवंटित कर दिए गए हैं तो उन्होंने हां सर सब हो चुका है। अनुमान करिए कितना भद्दा मजाक होता था।

मैंने कहा कितने में बांटे हैं, कहा ये पूरा प्रोजेक्ट है 15,200 करोड़ रुपये का। मैंने कहा इसको कैंसिल करके कहा अलॉटमेंट तय करो। अलॉटमेंट तय किया गया और उसके बाद फिर कार्यवाही शुरू हुई। एक साल का समय लगा था। हमने टेंडर करवाए और वही पार्टियां आ गईं। ठीक 15,200 करोड़ में टेंडर हुआ तो मुझे कुछ शक हुआ कि 2016 का टेंडर 2018 में भी उतने का कैसे हो रहा है। दो साल में कुछ दाम भी बढ़े होंगे। मैंने फिर उसे कैंसिल कर दिया।’

‘हमारी सरकार ने 11,800 करोड़ रुपये में बनाया वही एक्सप्रेसवे’
सीएम ने कहा, ‘मैंने कहा कि एक काम करो अपने टेक्निल और फाइनेंशियल भी एक साथ मंगाओ और एक बार देखो इसमें कुछ तो खेल हुआ था। जब हमने एक साथ मंगवाया तो वही एक्सप्रेसवे हमारा बना है 11,800 करोड़ रुपये में। ये लूट थी… जो इंग्लैंड की यात्रा करते हैं और बाद में शराफत का चेहरा लेकर आपके बीच मीठी-मीठी बातें करने आते हैं। बाद में शराफत का चेहरा लेकर मीठी-मीठी बातें करते हैं। ये वही चेहरे हैं, जिन्होंने प्रदेश को लूटा है। इन्होंने ही उत्तर प्रदेश को जातिवाद के नाम पर बांटा है।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि – उसको कैंसिल किया मैंने फिर कहा कि ये काम करो अब टेक्निकल और फाइनशियल भी एक साथ और एक साथ देखो इसमें कैसे कुछ तो खेल हुआ और जब हम लोगों ने एक साथ मंगवाया तो आप आश्चर्य करेंगे कि वही एक्सप्रेसवे हमारा बना है 11,800 करोड़ रुपये में. यानी लूट थी.

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