हापुड़ युनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री और मार्कशीट रैकेट का खुलासा

यूनिवर्सिटी में 4-4 लाख में फर्जी डिग्रियां बेची, चांसलर 5 लाख का इनामी गिरफ्तार

हापुड़ (उत्तर प्रदेश) : हापुड़ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री और मार्कशीट घोटाले की जांच के दौरान मामला और भी बड़ा होता जा रहा है। एसटीएफ की छानबीन में यह सामने आया है कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड हरियाणा निवासी संदीप सेहरावत था, जिसने उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की कई निजी विश्वविद्यालयों के नाम पर नकली डिग्रियां और मार्कशीट तैयार कीं। उत्तर प्रदेश की चार निजी यूनिवर्सिटी, जिनमें सहारनपुर की एक प्रमुख यूनिवर्सिटी भी शामिल है, इस फर्जीवाड़े की चपेट में आई हैं।

अन्य राज्यों की यूनिवर्सिटियों पर भी होगी कार्रवाई
एसटीएफ अब अन्य यूनिवर्सिटियों की भूमिका की भी गहराई से जांच करने जा रही है। साथ ही, जिन राज्यों में इस रैकेट का संचालन हुआ, वहां की पुलिस के साथ भी संबंधित जानकारी साझा की जाएगी, ताकि आवश्यक कानूनी कदम उठाए जा सकें। मोनाड यूनिवर्सिटी के प्रबंधन से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, क्योंकि इतने बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा बिना अंदरूनी सहयोग के संभव नहीं हो सकता।

अब तक की जांच में यह भी सामने आया है कि करीब दो लाख छात्रों को फर्जी डिग्रियां दी गई थीं। एसटीएफ की कई टीमें हरियाणा के अलग-अलग जिलों में सेहरावत और उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में छापेमारी कर रही हैं। सोमवार को संदीप सेहरावत के एक साथी को गिरफ्तार किया गया, जिसके पास से भारी मात्रा में नकली डिग्रियां बरामद हुईं।

विदेश भागने की थी योजना
जांच में यह भी सामने आया है कि यूनिवर्सिटी के चेयरमैन विजेंद्र हुड्डा और मास्टरमाइंड संदीप सेहरावत देश छोड़ने की तैयारी में थे। विजेंद्र ने संदीप का पासपोर्ट और वीजा पहले ही तैयार करवा लिया था। उसे आशंका हो गई थी कि उसके खिलाफ शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिसके बाद उसने यूनिवर्सिटी आना बंद कर दिया। लेकिन जैसे ही शनिवार को विजेंद्र के यूनिवर्सिटी आने की जानकारी मिली, एसटीएफ ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उसे हिरासत में ले लिया।

चुनाव के लिए खरीदी गईं 50 एसयूवी
पूछताछ में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि विजेंद्र ने चुनाव के दौरान यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के नाम पर 50 लग्जरी गाड़ियां खरीदी थीं, जिनमें अधिकतर फॉर्च्यूनर और स्कॉर्पियो थीं। एसटीएफ को उसके बैग से 35 गाड़ियों की चाबियां बरामद हुईं, जिन पर गाड़ी नंबर भी अंकित थे। विजेंद्र ने गाड़ियों का डाउन पेमेंट करवाने के बाद उन्हें अपने पास रख लिया और बैंक की किश्तें देना बंद कर दीं। अब इन वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

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