गूगल/मेटा : कौन सी कंपनी है कर्मचारियों के लिए सबसे बेहतर? अंदर काम करने वाले ने खुलकर बताया

कभी सोचा है कि गूगल और फेसबुक की मूल कंपनी मेटा में काम करना कैसा होगा? एक कर्मचारी, जिसने दोनों कंपनियों में काम किया है, उसने अपने अनुभवों को ब्लॉग के जरिए बताया है. दोनों कंपनियां एक जैसे क्षेत्र में काम करती हैं, ऑनलाइन विज्ञापन बेचती हैं और आम लोगों के इस्तेमाल के लिए कई सारे प्रोडक्ट बनाती हैं. लेकिन, इस कर्मचारी ने इन दोनों बड़ी टेक्नॉलजी कंपनियों के काम करने के माहौल और मैनेजमेंट स्टाइल के अंतरों को बताया है.

मेटा कंपनी को तेजी से बदलने वाले माहौल के रूप में बताया गया है, जहां नयेपन को बढ़ावा दिया जाता है और नए आइडियाज को जल्दी अपनाया जाता है. लेकिन इस तेजी से बदलते माहौल की वजह से कर्मचारियों पर थोड़ा तनाव और दबाव भी रहता है क्योंकि उन पर उम्मीदों पर खरा उतरने और अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव रहता है.

दूसरी तरफ, गूगल को एक ज्यादा स्थिर माहौल के रूप में बताया गया है, जहां प्रोजेक्ट लंबे समय तक चल सकते हैं और जल्दी बदलने का दबाव नहीं होता है. हालांकि इससे कर्मचारियों को सुरक्षा और काम के साथ निजी जिंदगी का संतुलन बनाने में मदद मिलती है, लेकिन हो सकता है इससे नई चीजें लाने की रफ्तार और जोखिम लेने की आदत कम हो जाए.

ट्रांसपेरेंसी किसमें ज्यादा?
पारदर्शिता एक और चीज थी जिसमें दोनों कंपनियां अलग थीं. मेटा को एक ऐसी कंपनी बताया गया है जहां पारदर्शिता ज्यादा है, यानी वहां खुलकर जानकारी बताई जाती है और कर्मचारियों को उनके काम के लिए जवाबदेह ठहराया जाता है. दूसरी तरफ, गूगल को थोड़ा गुप्त बताया गया है, जहां जरूरी जानकारी अक्सर ईमेल और चैट के जरिए दी जाती है, जिससे कर्मचारियों के लिए कंपनी में हो रहे बदलावों के बारे में जानकारी रखना मुश्किल हो जाता है.

इन सब बातों को मिलाकर देखें तो, भले ही मेटा और गूगल दोनों कंपनियां तरक्की करने और नई चीजें सीखने के मौके देती हैं, असल में यह चुनाव आपकी पसंद पर निर्भर करता है कि आप काम के साथ निजी जिंदगी का संतुलन, तरक्की करने का तरीका और कंपनी का माहौल कैसा चाहते हैं.

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