आयुर्वेद में तुलसी का महत्व और इसके औषधीय गुण

भारत में हिंदुओं के घर के साथ-साथ आयुर्वेद में भी तुलसी का विशेष स्थान है. इसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है और उनके द्वारा पूजा की जाती है. भारत में तीन मुख्य प्रकार की तुलसी बढ़ती देखी जाती है।

तुलसी के गुणों के बारे में तो सभी जानते हैं। आयुर्वेद में भी तुलसी को एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा माना गया है। तुलसी का उपयोग बहुत पहले से आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता रहा है। पहले के समय में किसी के बीमार पड़ने पर दादी- नानी के नुस्खों में भी तुलसी का उपयोग होता था।
तुलसी हमारे शरीर को लीवर, त्वचा, किडनी आदि के विभिन्न संक्रमणों और रोगों से बचाने में अत्यधिक प्रभावी साबित हुई है. इसमें शक्तिशाली ऑक्सीडेंट होते हैं जो आपके बल्ड प्रेशर के स्तर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे यह एक है सर्वश्रेष्ठ हृदय-स्वस्थ खाद्य पदार्थ माना जाता है. तुलसी को मधुमेह के लिए भी अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें हाइपोग्लाइकेमिक के गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है.

आयुर्वेद में भी तुलसी का विशेष स्थान
भारत में हिंदुओं के घर के साथ-साथ आयुर्वेद में भी तुलसी का विशेष स्थान है. इसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है और उनके द्वारा पूजा की जाती है. भारत में तीन मुख्य प्रकार की तुलसी बढ़ती देखी जाती है. चमकीले हरे पत्ते जिन्हें राम तुलसी कहा जाता है और बैंगनी हरे पत्ते जिन्हें कृष्ण तुलसी कहा जाता है व आम जंगली वाना तुलसी कहलाती है।

तुलसी में पाए जाते हैं ये विटामिन
तुलसी के पत्ते विटामिन ए, सी और के और कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, लोहा और पोटेशियम जैसे खनिजों से भरपूर होते हैं. इसमें प्रोटीन और फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है।

कैंसर रोधी गुण
तुलसी में मौजूद फाइटो केमिकल्स में मजबूत एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इस प्रकार, वे हमें त्वचा, यकृत, मुंह और फेफड़ों के कैंसर से बचाने में मदद करते हैं.

हृदय स्वास्थ्य के लिये अच्छा है
तुलसी का रक्त लिपिड सामग्री को कम करके, इस्किमिया और स्ट्रोक को दबाने, उच्च रक्तचाप को कम करने और इसके उच्च एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण हृदय रोगों के उपचार और रोकथाम पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

सर्दी-खांसी और गले की खराश से हैं परेशान, अपनाएं ये आयुर्वेदिक नुस्खे
तुलसी विटामिन सी और जिंक से भरपूर होती है. इस प्रकार यह एक प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में कार्य करता है और संक्रमण को दूर रखता है। इसमें अत्यधिक एंटी- बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो हमें कई तरह के संक्रमणों से बचाते हैं. तुलसी के पत्तों का टी हेल्पर कोशिकाओं और प्राकृतिक हत्यारे कोशिकाओं की गतिविधि को बढ़ाता है, जिससे इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है।

बुखार और दर्द को कम करता है
तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे बुखार कम होता है. तुलसी के ताजे रस को काली मिर्च के चूर्ण के साथ लेने से बार-बार होने वाला बुखार ठीक हो जाता है. तुलसी के पत्तों को आधा लीटर पानी में इलायची के साथ उबालकर चीनी और दूध के साथ मिलाकर तापमान को कम करने में भी असरदार होता है. तुलसी में पाए जाने वाले दर्द निवारक गुणों वाला एक टेरपीन यूजेनॉल शरीर में दर्द को कम करता है।

सर्दी, खांसी और अन्य श्वसन विकारों को कम करना
तुलसी में मौजूद कैम्फीन, सिनेओल और यूजेनॉल छाती में ठंड और जमाव को कम करने में मदद करते हैं. तुलसी के पत्तों का रस शहद और अदरक के साथ मिलाकर ब्रोंकाइटिस, दमा, इन्फ्लुएंजा, खांसी और सर्दी में असरदार होता है.

तनाव और रक्तचाप को कम करता है
तुलसी में यौगिक व्बपउनउवेपकमे । और ठ होते हैं. ये यौगिक तनाव को कम करते हैं और मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और डोपामाइन को संतुलित करते हैं. तुलसी के विरोधी भड़काऊ गुण सूजन और रक्तचाप को कम करते हैं।
(डा.शिव मूर्ति लाल मिश्रा)

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