भारत और ब्रिटेन ने कारोबारी रिश्तों में नया इतिहास

FTA पर दोनों देशों ने किए हस्ताक्षर, व्यापार, तकनीक और रणनीतिक साझेदारी का नया अध्याय लिखना शुरू

नई दिल्ली : भारत-ब्रिटेन व्यापार और मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) जैसे द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों पर निगरानी और समीक्षा करने वाली प्रतिष्ठित भारतीय और ब्रिटिश एजेंसियों व संस्थानों का मानना है कि भारत और ब्रिटेन के बीच संपन्न हुआ ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) केवल दो देशों के बीच व्यापार बढ़ाने तक सीमित नहीं है। इससे वैश्विक रणनीतिक समीकरण, निवेश के प्रवाह, रोजगार के अवसर और उपभोक्ताओं के अनुभवों में भी व्यापक परिवर्तन की संभावना है। यह समझौता न केवल उद्योगों और व्यापारियों के लिए नए द्वार खोलेगा बल्कि आम भारतीय को भी सस्ते उत्पादों, बेहतर सेवाओं और नए रोजगार अवसरों के रूप में सीधा लाभ पहुंचाएगा।

रिसर्च एंड इनफॉरमेशन सिस्टम्स फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (आरआईएस) और ब्रिटिश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता एक विन-विन करार है जो केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, डिजिटल इकोनॉमी और रणनीतिक साझेदारी के केन्द्र में स्थापित करता है। यह समझौता भविष्य में भारत की एफटीए कूटनीति की दिशा तय करने वाला मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है और विश्व को यह संदेश देता है कि भारत अब सिर्फ उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि नीति-निर्माता वैश्विक शक्ति बन रहा है।

यह सिर्फ एक एफटीए ही नहीं भारतीय उत्पादकों और सेवा प्रदाताओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे लाने का एक मजबूत मंच है।इस मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारत और ब्रिटेन ने वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात पर लगने वाले कस्टम शुल्क में कटौती, गैर-शुल्कीय बाधाओं को सरल करने, डिजिटल व्यापार, वित्तीय सेवाएं, शिक्षा और निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

इसी तरह समझौता लागू होने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार 30 अरब डॉलर से 2030 तक दोगुना होने की संभावना जताई जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के पूर्व प्रतिनिधि डॉ. सुरजीत भल्ला का कहना है कि भारत को अब ऐसी एफटीए रणनीति चाहिए थी जो केवल ‘व्यापार मुक्त’ न हो बल्कि ‘विकास अनुकूल’ भी हो। यूके के साथ यह समझौता इस दिशा में सही कदम है और इससे सेवा क्षेत्र में भारत ताकत और बढ़ेगी।

एक राष्ट्र के रूप में भारत को बहुत कुछ मिलेगा
इंडियन ट्रेड पॉलिसी रिव्यू मैकेनिज्म (आईटीपीआरएम) का आकलन है कि एक राष्ट्र के रूप में भारत को भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से कई लाभ मिल सकते हैं।

  • वैश्विक व्यापारिक ताकत के रूप में भारत की छवि निखरेगी। इस समझौते से भारत की छवि एक उदारीकृत, भरोसेमंद और सहयोगी व्यापारिक राष्ट्र के रूप में मजबूत होगी। विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते करने की भारत की क्षमता बढ़ेगी जिससे आने वाले समय में अमेरिका, यूरोपीय संघ और खाड़ी देशों के साथ वार्ता में भारत को अधिक प्रभाव मिलेगा।
  • निर्यात आधारित विकास को बढ़ावा मिलेगा। ब्रिटेन में भारतीय उत्पादों जैसे वस्त्र, रसायन, फार्मा, ऑटो-पुर्जे, खाद्य वस्तुएं पर लगने वाले शुल्क में कटौती से भारतीय निर्यातकों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी। इससे भारत का निर्यात बढ़ेगा और देश का ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
  • विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि होगी। ब्रिटिश कंपनियों को भारत में आने की प्रक्रिया आसान होगी, जिससे निर्माण, रिटेल, शिक्षा और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा। इससे स्थानीय उद्योगों में तकनीक, प्रबंधन और पूंजी का संचार होगा जो भारत के औद्योगिक विकास को गति देगा।
  • रोजगार और कौशल विकास को बल मिलेगा।ब्रिटिश निवेश और व्यापारिक विस्तार से देश में विशेषकर युवा आबादी के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे। शिक्षा और सेवा क्षेत्रों में सहयोग से कौशल विकास के नए कार्यक्रम और प्रशिक्षण संस्थान भी आ सकते हैं।
  • मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मजबूती मिलेगी। इस समझौते से घरेलू उद्योगों को नए बाजार और उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट्स सुलभ होंगे। इससे मेक इन इंडिया अभियान को प्रोत्साहन मिलेगा और भारत वैश्विक विनिर्माण हब बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर हो सकेगा।
  • नीति-निर्माण में रणनीतिक लाभ होगा।यह समझौता भारत को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के ढांचे से अलग द्विपक्षीय स्तर पर अपनी शर्तों पर समझौते करने की रणनीतिक छूट देता है। इससे भारत का आर्थिक कूटनीतिक प्रभाव और नीतिगत आत्मनिर्भरता दोनों बढ़ेंगे।
  • तकनीकी और शिक्षा क्षेत्र में प्रगति के नए दरवाजे खुलेंगे। ब्रिटेन की तकनीकी संस्थाएं, विश्वविद्यालय और रिसर्च लैब्स अब भारत के साथ अधिक खुले ढंग से सहयोग कर सकेंगी। इससे भारत में अनुसंधान, नवाचार और उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ेगी।

ब्रिटिश चैंबर ऑफ कॉमर्स के चीफ इकोनॉमिस्ट अमांडा टेनेट के अनुसार इस एफटीए के जरिए ब्रिटिश एमएसएमई भारत के विशाल मिडिल-क्लास बाजार में प्रवेश कर पाएंगे। इससे द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक दोगुना हो सकता है और दोनों देशों के उपभोक्ताओं को भी इसका सीधा लाभ होगा। टैरिफ घटने से कई आयातित वस्तुएं जैसे ब्रिटिश चॉकलेट, व्हिस्की, सौंदर्य प्रसाधन और कुछ विशेष तकनीकी उत्पाद भारतीय बाजार में सस्ते होंगे। इससे मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं को फायदा होगा। निर्यात में वृद्धि और ब्रिटिश निवेश से औद्योगिक गतिविधियां बढ़ेंगी, जिससे खासकर विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। शिक्षा और वीजा में भी सहूलियत मिली मिलेगी। इस समझौते से छात्रों और पेशेवरों के लिए वीजा प्रक्रियाएं सरल होने की संभावना जताई जा रही है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटियों में भारतीय छात्रों को अधिक स्कॉलरशिप व कोर्स विकल्प मिल सकते हैं।

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