पांडुलिपियों में निहित ज्ञान भावी पीढ़ी के लिए बचाना होगाः सीजेआई चंद्रचूड़
वैदिक विश्वविद्यालय के संरक्षण का उठाया मुद्दा?

नई दिल्लीः भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ बुधवार को एस वी वैदिक विश्व विद्यालय पहुंचे. इस दौरान उन्घ्होंने कहा कि यह हर किसी की जिम्मेदारी है कि पांडुलिपियों में निहित ज्ञान भावी पीढ़ी तक पहुंचाया जाए. सीजेआई इससे पहले तिरुपति स्थित श्री वेंकटेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे. इस दौरान उन्घ्पूजा-अर्चना की. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धीरज सिंह ठाकुर ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का प्रदेश में स्वागत किया.
मंदिर परिसर में पुजारियों ने उनका औपचारिक स्वागत किया. तिरुमाला तिरूपति देवस्थानम (टीटीडी) की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, “भगवान के दर्शन करने के बाद सीजेआई को रंगनायकुला मंडपम में मंदिर के पुजारियों ने आशीर्वाद दिया.
इसके अलावा, टीटीडी अधिकारियों ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को ‘प्रसादम’ (पवित्र भोजन), डायरी, कैलेंडर, अगरबत्ती और ‘पंचगव्य’ उत्पादों के साथ देवता का एक चित्र उपहार में दिया.
प्राचीन कानूनी ग्रंथों के बारे में भी सीखा
सुबह मंदिर के दौरे के बाद, सीजेआई एसवी वैदिक विश्वविद्यालय में पांडुलिपियों को देखने और जांचने के लिए गए. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इन प्राचीन पांडुलिपियों में निहित ज्ञान को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाना हर किसी की जिम्मेदारी है।
बाद में सीजेआई ने पत्रकारों से बात की और कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि प्राचीन पांडुलिपियों को सुरक्षित रखा जा रहा है और उन्होंने वहां प्राचीन कानूनी ग्रंथों के बारे में भी सीखा. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने उन्हें प्राचीन सभ्यता में कानून और अन्य बारीकियों के बारे में बताया है. उन्होंने भारत और दुनिया भर में पांडुलिपियों में निहित ज्ञान की सुरक्षा और प्रसार का आह्वान किया।