केजरीवाल की निजी डॉक्टर की मांग स्वीकार नहीं: राउज़ एवेन्यू कोर्ट

विशेषज्ञ डॉक्टरों के एक मेडिकल पैनल के गठन का आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल – टाइप 2 मधुमेह रोगी – द्वारा अपने डॉक्टर के साथ दैनिक 15 मिनट के वीडियो परामर्श के आवेदन को खारिज कर दिया। हालाँकि, राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने विशेषज्ञ डॉक्टरों के एक मेडिकल पैनल के गठन का आदेश दिया है – जो यह तय करेगा कि आम आदमी पार्टी नेता को वास्तव में नियमित इंसुलिन शॉट्स की आवश्यकता है या नहीं।

कोर्ट ने अरविन्द केजरीवाल की निजी डॉक्टर द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कंसल्टेशन करने की मांग को स्वीकार नहीं किया है. राउज एवेन्यू की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने अरविंद केजरीवाल को इंसुलिन देने या ना देने के लिए तिहाड़ जेल को AIIMS के डॉक्टरों की देखरेख में मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया है. दिल्ली शराब घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और वो फिलहाल दिहाड़ जेल में बंद हैं.

राउज एवन्यू कोर्ट अरविंद केजरीवाल की याचिका पर लंच के बाद अपना फैसला सुनाया. इसकी जानकारी कोर्ट स्टाफ की ओर से दी गई. इससे पहले कोर्ट को बताया गया कि अरविंद केजरीवाल की ओर से ED और तिहाड़ जेल ऑथोरिटी की ओर से दाखिल लिखित दलीलों पर जवाब दाखिल किया जाना है. केजरीवाल का जवाब पर गौर करने के बाद कोर्ट आदेश देगा.

पैनल 55 वर्षीय अरविंद केजरीवाल के लिए आहार और व्यायाम योजना भी निर्धारित करेगा।
हालाँकि, जब तक पैनल का गठन नहीं हो जाता और वह अपनी सिफ़ारिशों पर नहीं पहुँच जाता, तब तक मुख्यमंत्री घर का बना खाना जारी रख सकते हैं, जब तक वह अदालत के निर्देशों का पालन करते हैं। उस समय तक, जेल अधिकारियों को श्री केजरीवाल के स्वास्थ्य पर हर 15 दिनों में एक अदालत रिपोर्ट भी जमा करनी होगी। इस महीने की शुरुआत में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजते समय अदालत ने उन्हें घर का बना खाना और बोतलबंद पीने का पानी देने की अनुमति दी थी ।

आज की सुनवाई पर वापस जाएँ, और अदालत ने जेल अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री को उचित चिकित्सा देखभाल उपलब्ध हो, जिसमें मधुमेह रोग विशेषज्ञ या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से उपचार भी शामिल है।

श्री केजरीवाल, जिन्हें पिछले महीने कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार किया गया था , ने भी पिछले सप्ताह अदालत का रुख किया और दावा किया कि तिहाड़ जेल के अधिकारी मधुमेह रोगियों के लिए महत्वपूर्ण दवा इंसुलिन की नियमित आपूर्ति प्रदान करने में विफल रहे हैं। मुख्यमंत्री की पार्टी ने उनकी “हत्या की साजिश” का दावा किया।

केजरीवाल की जमानत को लेकर दायर वकील की याचिका खारिज?
अरविंद केजरीवाल को जेल में खतरे का अंदेशा जताते हुए उन्हें जमानत देने की मांग को लेकर दायल याचिक को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका केजरीवाल की ओर से नहीं, बल्कि We the People के नाम से दाखिल की गई थी, जिसमें केजरीवाल के लिए अंतरिम जमानत की मांग की गई थी. केजरीवाल के वकील ने इस पर ये कहकर आपत्ति जताई थी कि वो अपनी ओर से कानूनी राहत के विकल्प आजमा रहे है. किसी और के दखल की जरूरत नहीं है. केजरीवाल को जेल से ही सरकार चलाने/कैबिनट मीटिंग की इजाजत की मांग वाली एक दूसरी याचिका भी दिल्ली HC में पेंडिग है. पर आज वो सुनवाई के लिए नहीं लगी थी.

लॉ स्टूडेंट ने दायर की थी केजरीवाल की जमानत याचिका
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत के लिए दाखिल जनहित याचिका लॉ स्टूडेंट अभिषेक चौधरी ने We the people of India के नाम से दाखिल की थी. जेल में खतरे की आशंका को देखते हुए जमानत की मांग की गई थी. याचिका में टिल्लू ताजपुरिया और अतीक अहमद की जेल में हुई हत्या की घटनाओं का हवाला देते हुए केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर आशंका जाहिर की गई थी. याचिका में कहा था कि दिल्ली की जेलों में बुनियादी/ मेडिकल सुविधाओं के अभाव में कैदियो के दम तोड़ने की कई घटनाएं हो चुकी है. याचिका में केजरीवाल को उनके कार्यकाल तक सभी मामलों में अंतरिम जमानत देने की मांग की गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया.

हाई कोर्ट में ED के समन के खिलाफ वाली याचिका पर भी सुनवाई
इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उन्हें जारी समन को चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट द्वारा दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम राहत देने से इनकार करने के बाद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया था. केजरीवाल ने गिरफ्तारी, पूछताछ और जमानत के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी है. याचिका न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए निर्धारित है.

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक ने ईडी द्वारा जारी नौवें समन के मद्देनजर हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उन्हें 21 मार्च को एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। हाई कोर्ट की पीठ ने 20 मार्च को ईडी से मामले के संबंध में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था. ईडी ने आरोप लगाया है कि आरोपी आबकारी नीति तैयार करने के लिए केजरीवाल के संपर्क में थे, जिसके परिणामस्वरूप आप को रिश्वत के बदले में उन्हें अनुचित लाभ हुआ. याचिका में केजरीवाल ने कई मुद्दे उठाए हैं, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या कोई राजनीतिक दल धन शोधन रोधी कानून के तहत आता है.

ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को किया था गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को 21 मार्च को दिल्ली शराब घोटाले के मामले में को गिरफ्तार किया था. इसके बाद कोर्ट ने 28 मार्च और फिर 1 अप्रैल तक केजरीवाल को ईडी की हिरासत में भेज दिया था. 1 अप्रैल को फिर जब केजरीवाल को कोर्ट में पेश किया गया तो उन्हें 15 दिन के लिए जेल भेज दिया गया.

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