ममता के आरोप पर बोले संत- हम दुखी हैं पर.. कहा कि वे हमेशा ही राजनीति से दूर रहे हैं …
जब कि संत ने बहरमपुर में एक तृणमूल एजेंट को मतदान केंद्र पर बैठने से मना कर दिया था

कोलकाता: लोकसभा चुनाव आहिस्ता-आहिस्ता अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है. भीषण गर्मी में आरोप-प्रत्यारोप के दौर चल रहे हैं. सभी नेताओं पर चुनावी रंग चढ़ कर बोल रहा है, ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां हो रही हैं औऱ इन सब के बीच एक-दूसरे पर प्रहार करने से नहीं चूक रहे हैं. शनिवार के ममता बनर्जी के आरोप से उपज गया था, जिसमें दो प्रमुख मठों के संतों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए काम करने का आरोप लगाया गया था. रविवार को दोनों धार्मिक संस्थाओं ने बयान जारी कर कहा कि वे हमेशा ही राजनीति से दूर रहे हैं और कभी किसी भी पार्टी के लिए वोट नहीं मांगा.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख बनर्जी ने शनिवार को एक चुनावी रैली में आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल के दोनों प्रमुख मठों के कुछ संत ‘भाजपा के निर्देश पर काम कर रहे हैं.’ बनर्जी ने आरोप लगाया था कि रामकृष्ण मिशन के कुछ संतों ने आसनसोल में श्रद्धालुओं से भाजपा को वोट देने को कहा था, जबकि भारत सेवाश्रम संघ के एक संत ने बहरमपुर में एक तृणमूल एजेंट को मतदान केंद्र पर बैठने से मना कर दिया था.
इन आरोपों का संदर्भ देते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को पुरुलिया में एक रैली में कहा, ‘चुनाव के दौरान बंगाल की जनता को डराने-धमकाने वाली टीएमसी ने इस बार सारी हदें पार कर दी हैं. आज देश-दुनिया में इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ सेवा और नैतिकता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री उन्हें खुले मंच से खुलेआम धमकी दे रही हैं…वे केवल अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए उन्हें धमकी दे रही हैं.’
रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ, दोनों ने आरोपों को खारिज कर दिया तथा कहा कि वे केवल समाज की सेवा करने पर ध्यान देते हैं. बेलूर में रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय के एक वरिष्ठ संत ने कहा, ‘हम आक्षेपों से दुखी और व्यथित हैं…हम किसी भी विवाद में फंसना नहीं चाहते हैं…प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री सहित सभी क्षेत्रों से हजारों आगंतुक हमारे परिसर में प्रार्थना और ध्यान करने आते हैं…हमारे लिए सभी समान हैं.’