उत्तर प्रदेश 2027 के चुनावों में तीसरे मोर्चा की तैयारीं
नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद तीसरा मोर्चा बनाने में सक्रिय

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में इन दिनों नए राजनीतिक समीकरण बनते हुए दिख रहे हैं. प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और सपा-कांग्रेस के इंडिया गठबंधन के अलावा एक तीसरा मोर्चा भी खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. इस कोशिश में लगे हैं आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद. इसके लिए वो उन दलों और नेताओं से संपर्क साध रहे हैं, जो अभी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. चंद्रशेखर की भी कोशिश अखिलेश यादव की तरह दलित-पिछड़े और मुस्लिम वोटों को एक करने की है.
प्रदेश में बीजेपी और सपा में रह चुके पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से चंद्रशेखर से मुलाकात को इसी दिशा में उठाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा है. चंद्रशेखर ने लखनऊ में मौर्य के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की थी.
मौर्य उत्तर प्रदेश में कट्टर आंबेडकरवादी नेता के रूप में देखे जाते हैं.सपा से निकलने के बाद उन्होंने अपनी जनता पार्टी के नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी. इन दिनों वो अपनी पार्टी का जनाधार बढाने के काम में लगे हुए हैं. पिछले दिनों उन्होंने संविधान सम्मान व जनहित हुंकार यात्रा का आयोजन पूरे उत्तर प्रदेश में किया था.
दलित-पिछड़ा और मुसलमान गठजोड़
चंद्रशेखर उत्तर प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिशों में काफी पहले से जुटे हुए हैं. इसी सिलसिले में वो कभी समाजवादी पार्टी में नंबर दो आजम खान से जेल में मुलाकात की थी. चंद्रशेखर अक्सर आजम खान के साथ ज्यादती की बात कहते रहते हैं. उनका आरोप है कि समाजवादी पार्टी ने आजम खान को अकेला छोड़ दिया है. मुस्लिम वोट बैंक को अपनी तरफ मिलाने के लिए वो आजम खान के साथ-साथ एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ भी संबंध बेहतर बनाने की कोशिश करते दिखते हैं.
चंद्रशेखर जिन नेताओं से संपर्क कर रहे हैं, वो अभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर हैं. स्वामी प्रसाद सपा से निकलने के बाद अपनी पार्टी के साथ जूझ रहे हैं. वहीं आजम खान और उनका परिवार मुकदमों से परेशान है. खान का परिवार जेल के चक्कर ही काट रहा है. हालांकि सपा आजम खान के साथ होने का दावा तो करती है, लेकिन उनके समर्थक इससे इनकार करते हैं.
वहीं ओवैसी पिछले काफी समय से उत्तर प्रदेश में कई प्रयोग और गठबंधन करने के बाद भी एक भी सीट नहीं जीत सके हैं. जबकि बिहार में उनकी पार्टी पांच सीटों पर अपना परचम लहरा चुकी है. वहीं चंद्रेशखर, मौर्य और ओवैसी ऐसे नेता भी हैं, जिनका प्रवेश उत्तर प्रदेश के दोनों गठबंधनों में से किसी से नहीं हो सकता है. लेकिन अगर ये सभी नेता एक साथ आ गए तो एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं.
मायावती के लिए होगी परेशानी
बसपा प्रमुख मायावती पिछले काफी समय से बिना नाम लिए चंद्रशेखर पर हमले कर रही हैं. वहीं चंद्रशेखर मायावती पर सीधे हमला न करके उनके भतीजे आकाश आनंद को निशाना बना रहे हैं. मायावती को डर है कि अगर चंद्रशेखर मजबूत हुए तो वह उनकी पार्टी को ही नुकसान पहुंचाएंगे. क्योंकि दोनों का वोट बैंक एक ही है. इसलिए वह कह रही है कि बसपा को हराने के लिए दल खड़े किए जा रहे हैं. वहीं चंद्रशेखर का यह गठजोड़ कहीं मजबूत हो गया तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.