पहाड़ी से गिरे मलबे की चपेट से प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग क्षतिग्रस्त

शिवलिंग भीमगोड़ा कुंड में हुआ विलीन

हरिद्वार: उत्तराखंड में मॉनसूनी बारिश ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है. पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश का असर मैदानी जिलों में दिखने लगा है. उत्तराखंड के कुछ इलाकों में तो बारिश के बाद आपदा जैसे हालत बन गए हैं. कई इलाके में जलमग्न हो रखे हैं. नदियों का जल स्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बना हुआ है. वहीं पहाड़ से पेड़ और पत्थर गिर जाने से भीमगोड़ा के प्राचीन कुंड में स्थित शिवलिंग भी क्षतिग्रस्त हो गया.

हरिद्वार में स्थित प्राचीन भीमगोड़ा कुंड पर बने मंदिर के पुजारी रत्न लाल ने बताया कि सुबह अचानक पहाड़ के ऊपर से पत्थर और पेड़ गिरे, जिससे मंदिर के भवन को नुकसान पहुंचा. इस वजह से कुंड में मौजूद प्राचीन शिवलिंग भी क्षतिग्रस्त हो गया.

वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने पहले भी प्रशासन को सूचना दी थी कि पहाड़ी धीरे-धीरे फट रही है. कभी भी कोई बड़ी जनहानि हो सकती है. क्योंकि यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन किसी भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया. यदि समय रहत इस तरफ ध्यान दिया जाता है तो आज स्वयंभू शिवलिंग क्षतिग्रस्त नहीं होता. लोगों का कहना है कि स्वयंभू शिवलिंग टूट कर कुंड में विलीन हो गया है. प्रशासन को ईश्वर ध्यान देना चाहिए. यह हमारी प्राचीन धरोहर है.

मंदिर का इतिहास: हरकी पैड़ी के नजदीक स्थित भीमगोड़ा टैंक हरिद्वार का एक मुख्य पर्यटक आकर्षण है. इस कुंड के पास प्राचीन भीमगोड़ा कुंड मंदिर है. कहते हैं कि यहां पर पांडवों ने एक रुद्राक्ष रखकर ध्यान किया था और उस रुद्राक्ष में से 11 शिवलिंग निकले थे. इसे गुप्त गंगा भी कहा जाता है.

हरिद्वार में भीमगोड़ा कुंड इसे इसलिए कहते हैं कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे, जब यहीं पर भीम ने श्रीकृष्‍ण के कहने पर अपना घुटना भूमि पर मार दिया था, जिससे यह कुंड निर्मित हो गया था. यह भी कहा जाता है कि द्रौपदी का प्यास लगी थी तो यही पर भीम ने अपना घुटना मारकर पानी निकाल दिया था.

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