ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन सुरंग का निर्माण पूरा
125 किमी लंबी सुरंग ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पूरी होने पर 7 घंटे का समय 2 घंटे रह जाएगा

देवप्रयाग (टिहरी) : ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के तहत भारतीय रेलवे ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए देवप्रयाग से जनासू के बीच 14.58 किलोमीटर लंबी दोहरी रेल सुरंग का निर्माण पूरा कर लिया है। यह सुरंग अब देश की सबसे लंबी रेल सुरंग बन गई है, जिसे टनल बोरिंग मशीन शिव और शक्ति की मदद से रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। टीबीएम शिव ने 820 दिनों में सुरंग का काम पूरा किया, जबकि टीबीएम शक्ति ने 851 दिनों में पहली सुरंग बनाकर 16 अप्रैल 2025 को यह उपलब्धि हासिल की थी।
पांच जिलों में रेल नेटवर्क होगा मजबूत
हाइड्रोलिक कटिंग तकनीक से लैस इन दो टीबीएम मशीनों ने 6.5 मीटर व्यास की सुरंग खोदने में सफलता हासिल कर दिखाया। यह सुरंग 125 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का हिस्सा है, जिसके पूरा होने पर यात्रा का समय 7-8 घंटे से घटकर 2 घंटे रह जाएगा। इससे उत्तराखंड के पांच जिलों देहरादून, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली को रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा।
देवप्रयाग से जनासू तक की निकासी सुरंग भी इस अवधि में आर-पार की जानी है। यहां मुख्य सुरंग आर-पार हो चुकी है। तिलनी से घोलतीर तक सुरंग निर्माण में मरोड़ा गांव को विस्थापित करना पड़ा था। यहां सुरंग खोदाई के दौरान पहाड़ खिसकने से खतरा पैदा हो गया था।
मुख्य के साथ बनाई जा रही निकासी सुरंग
रेल परियोजना में ट्रेनों का अधिकांश संचालन सुरंगों के अंदर होना है। इसलिए आपात स्थिति के लिए मुख्य के साथ निकासी सुरंग भी बनाई जा रही है। 375 मीटर पर मुख्य और निकासी सुरंग आपस में मिल रही हैं। आरवीएनएल के अधिकारी मार्च 2026 तक सुरंगों का काम पूरा करने में जुटे हुए हैं। पहले दिसंबर 2025 तक सभी सुरंगों को ब्रेकथ्रू करने का लक्ष्य रखा गया था। तय अवधि में काम नहीं होने पर इसे आगे बढ़ाया गया है।
सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है रेल लाइन
रेल मंत्रालय की ओर से सितंबर 2011 में ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन को बनाने का जिम्मा रेल विकास निगम लिमिटेड को सौंपा गया था। रेल मंत्रालय की ओर से तब 4295 करोड़ की मंजूरी दी गई थी। नवंबर 2016 में रेलवे बोर्ड ने 16216.31 करोड़ रुपये इस परियोजना के लिए स्वीकृत किए। यह परियोजना न केवल उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों को रेल लाइन से कनेक्ट करने के साथ ही सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। रेल परियोजना में पांच जिले देहरादून, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली का हिस्सा आता है।