पटना के होटल में लगी भीषण आग में 6 की मौत

20 घायल PMCH में भर्ती, कई लोगों ने कूदकर बचाई जान

पटना: रेलवे स्टेशन स्थित रेस्टोरेंट में सुबह 11 बजे के करीब आग भड़की। गैस सिलेंडर से आग बाहर निकली। उसके बाद आग ने देखते ही देखते पूरी इमारत को अपनी आगोश में ले लिया। इस दौरान अफरा-तफरी मची रही। होटल में मौजूद 15 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ गए। आग से झुलसने की वजह से उन्हें तुरंत रेस्क्यू कर पीएमसीएच में भर्ती कराया गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि झुलसे हुए लोगों के बचने की उम्मीद अब भगवान के ऊपर निर्भर है। क्योंकि सभी लोग 80 प्रतिशत जल चुके हैं।

सिलेंडर से आग निकलने के बाद वहां का स्टाफ उसे बुझाने में असफल रहा। उसके बाद अग्निशमन के तीन कार्बन डाइऑक्साइड वाले सिलेंडर से आग बुझाने की कोशिश की। उसमें भी सफलता नहीं मिली। उसके बाद स्टाफ और बाकी लोग वहां से सब कुछ छोड़कर भागने लगे। आग ने विकराल रूप ले लिया। थोड़ी देर के बाद गैस सिलेंडर ब्लास्ट हो गया। इस दौरान ये जानकारी मिली की अंदर और भी सिलेंडर रखा हुआ था। आग ने अपने आस-पास मौजूद अन्य भवनों को अपने लपेटे में ले लिया। आग ने पास में मौजूद पाल होटल, पंजाबी नवाबी रेस्टोरेंट और बलवीर साइकिल स्टोर में कब्जा जमा लिया। उसके बाद धुएं का लंबा गुब्बार आसमान में उठने लगा।

पुलिस ने दोनों तरफ से रोड को ब्लॉक कर दिया। फायर ब्रिगेड के सभी अधिकारी मौके पर पहुंच गए। रेस्क्यू टीम ने एक-एक कर तीस लोगों को अंदर से बाहर निकाला। उसके बाद आस-पास के घरों को खाली कराया गया। मौके पर भारी भीड़ जमा होने से पुलिस को काम करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उसके बाद अग्निशमन विभाग ने दुकानों को खाली कराने के बाद करीब तीन घंटे की कड़ी मेहनत के बाद आग पर काबू पा लिया।

स्थानीय लोगों के मुताबिक जहां आग लगी है, वहां एक शख्स अपने चाऊमीन की दुकान के लिए सिलेंडर बदलने लगा। सिलेंडर पहले से रिस रहा था। उसमें से गैस निकल रही थी। उसके अलावा जहां वो सिलेंडर बदलने की कोशिश कर रहा था। वहां पहले से एक गैस जल रहा था। बदलने के लिए लाए गए सिलेंडर से निकली गैस पहले से जल रहे गैस की चपेट में आ गई। तुरंत वहां आग ने तांडव मचाना शुरू कर दिया।

फायर ब्रिगेड को घंटों तक मशक्कत करने के बाद आग पर काबू पाने में कामयाबी मिली। इन सबके बीच फायर सेफ्टी रूल जैसे सवाल फिजां में तैरने लगे हैं। क्या गारंटी है कि ऐसी घटना दोबारा नहीं होगी? राजधानी में दर्जनों होटल फायर सेफ्टी के नियमों का उल्लंघन करते हुए चल रहे हैं।

किसी भी होटल के लिए फायर सेफ्टी रूल जरूरी होता है। राजधानी पटना में चलने वाले ज्यादातर रेस्टोरेंट और होटलों में फायर सेफ्टी के किसी भी नियम का पालन नहीं होता है। किसी भी होटल संचालन के लिए अग्निशमन विभाग की ओर से कुछ बेसिक नियम का पालन करने को कहा जाता है। जिसमें धुआं डिटेक्टरों को गलियारों, स्टोर रूम, सीढ़ियों के नीचे, अतिथि कक्ष, सार्वजनिक क्षेत्रों और भंडारण स्थानों में लगाया जाना जरूरी होता है। उसके अलावा बड़े होटलों के लिए, कानून के अनुसार आपके पास एक स्वचालित केंद्रीकृत धूम्रपान डिटेक्टर होना जरूरी होता है।

सभी धूम्रपान डिटेक्टरों को एक मास्टर पैनल के साथ एकीकृत किया जाता है। यह कर्मचारियों को तुरंत पहचानने के लिए सचेत करता है कि स्मोक डिटेक्टर कहां सक्रिय हुआ है और बिना देरी किए कार्रवाई के कदम उठाए जाते हैं। इसके अलावा होटल में अग्निशामक यंत्र होना जरूरी होता है। इसके अलावा अग्निशामक यंत्र के साइज को होटल के हिसाब से लगाना जरूरी होता है।

जवाबदेह कौन?
होटल के गलियारों में अक्सर कागज और अन्य ज्वलनशील पदार्थों पर उपयोग पर मनाही होती है। पटना के होटलों में धूम्रपान लोग आराम से कर सकते हैं। इसके लिए कोई नियम नहीं है। होटल को चार प्रकार की आग के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। क्लास ए की आग जिसमें सामान्य ज्वलनशील पदार्थ शामिल हों। श्रेणी बी की आग जिसमें ज्वलनशील तरल पदार्थ शामिल हों। विद्युत उपकरण से जुड़ी श्रेणी सी की आग। कक्षा की आग जिसमें खाना पकाने का तेल और वसा शामिल है। सभी ज्वलनशील जगहों पर अग्निशामक यंत्र का होना जरूरी होता है।

इसके अलावा समय-समय पर उसके लिए मॉक ड्रिल और फायर ब्रिगेड के कार्यालय की ओर से उसकी जांच सुनिश्चित की जानी चाहिए। छोटे से छोटे होटल परिसर में भी अग्नि सुरक्षा चिह्न आवश्यक हैं। वे जैसे हैं वैसे ही महत्वपूर्ण हैं। पटना में ऐसा बिल्कुल नहीं किया जाता है। परिसर को तेजी से खाली करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया होना चाहिए। इस पर बिल्कुल काम नहीं किया जाता है। ऐसा नहीं करने वाले होटलों के लाइसेंस को रद्द करने का प्रावधान है। राजधानी पटना में ऐसा बिल्कुल नहीं होता। जानकार मानते हैं कि सब कुछ भगवान भरोसे होता है।

मानकों का उल्लंघन
बिहार में फायर सर्विस की ओर से 2021 में कुछ नयी नियमावली बनाई गई थी। जिसमें कहा गया था कि 15 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई वाले भवन वालों को एनओसी लेना आवश्यक होगा। जिसमें 500 वर्ग मीटर भूतल क्षेत्र वाले भवन, 09 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले शैक्षणिक भवन, 300 वर्ग मीटर वाले भवन जिसमें सभा कक्ष हो, सभी सभा भवन, दो से अधिक बेसमेंट वाले भवन को एनओसी लेना होगा।

इसके अलावा बिहार फायर सर्विस की ओर से ये भी कहा गया था कि फायर ऑडिट मानकों का उल्लंघन करने पर छह माह की सजा या 50 हजार रुपये जुर्माना बार-बार उल्लंघन किए जाने पर हर दिन तीन हजार रुपये की दर से जुर्माने का भी प्रावधान रहेगा। हालांकि, इस नियमावली पर कितना काम हुआ ये बताने के लिए कोई तैयार नहीं है।

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