गोरखपुर एम्स दीक्षांत समारोह- करुणा और ईमानदारी को अपनी चिकित्सा का हिस्सा बनाएं : राष्ट्रपति द्रौपदी 

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी अनुप्रिया पटेल ने भी सम्बोधित किया

गोरखपुर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चिकित्सकों को करुणा और ईमानदारी को अपनी चिकित्सा का हिस्सा बनाने की नसीहत देते हुए सोमवार को कहा कि एक संवेदनशील चिकित्सक न सिर्फ दवा से बल्कि अपने व्यवहार से भी मरीज को जल्द ठीक होने में मदद कर सकता है। राष्ट्रपति ने गोरखपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रथम दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘मेडिकल टूरिज्म’ को बढ़ाने में एम्स जैसे संस्थानों की निर्णायक भूमिका रही है।

उन्होंने कहा कि भारत में इलाज का खर्च दुनिया के कई अन्य देशों की तुलना में बहुत ही कम है और इस वजह से विदेश से भी लोग यहां इलाज के लिए आते हैं, जो भारत की एक गौरव गाथा है। मुर्मू ने दीक्षांत समारोह में पदक और उपाधियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से कहा कि अपने करियर और जीवन में यह बात हमेशा याद रखें कि चिकित्सा केवल एक पेशा नहीं, बल्कि मानवता की सेवा है। आप जहां भी काम करें, करुणा और ईमानदारी को अपनी चिकित्सा का हिस्सा बनाएं।

उन्होंने कहा कि एम्स की पारदर्शिता, नैतिकता और अनुसंधान आधारित इलाज प्रणाली ने इसे वैश्विक मंच पर एक-एक प्रतिष्ठित संस्थान बनाया है। मुझे विश्वास है कि गोरखपुर स्थित एम्स सहित देश के सभी एम्स संस्थान भारत को एक वैश्विक चिकित्सा केंद्र के रूप में स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। कार्यक्रम को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा कि मैं अपेक्षा करती हूं कि आप अपने ज्ञान का उपयोग केवल अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए ही न करें, बल्कि समाज के उन वर्गों के लिए भी कार्य करें, जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की सर्वाधिक आवश्यकता है। मुर्मू ने कहा कि एक चिकित्सक का व्यवहार भी मरीज की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है। आज आप चिकित्सक बन गए हैं। एक संवेदनशील चिकित्सक न केवल दवा से बल्कि अपने व्यवहार से भी मरीज को जल्द ठीक होने में मदद करता है। साक्ष्य दर्शाते हैं कि सहानुभूतिपूर्ण देखभाल से मरीज की हालत में तेजी से सुधार होता है।

उन्होंने अपील करते हुए कहा कि मैं चिकित्सा शिक्षा से जुड़े सभी हितधारकों से भी अपील करूंगी की भावी चिकित्सकों को शुरुआत से ही ऐसा एक तंत्र प्रदान करें, जिससे वे अपने कौशल के साथ-साथ मरीजों से संवाद और रोगियों में विश्वास बढ़ाने जैसे विषयों के बारे में भी जानें और उन्हें अपनी कार्यशैली में अपनाएं।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस अवसर पर मैं सभी चिकित्सकों से कहना चाहूंगी कि चिकित्सा लोगों की सेवा करने के साथ-साथ देश की सेवा का माध्यम भी है। चिकित्सक, देश के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे केवल रोग का इलाज नहीं करते, बल्कि एक स्वस्थ समाज की नींव भी रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब देश के नागरिक स्वस्थ होते हैं तो उनके कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है और वे एक राष्ट्र की उन्नति में भागीदारी कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि चिकित्सकों की सेवाएं ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपलब्ध हों।

 

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