होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और दहन की पूजाविधि

शुभ मुहूर्तः सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 24 मार्च रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक

सनातन धर्म में प्रत्येक मास की पूर्णिमा का बड़ा ही महत्व है और यह किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में होली, वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। रंगों का उत्सव होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है।
होली पूर्णिमा हिन्दू वर्ष का अंतिम दिन भी होता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 55 मिनट से आरंभ हो जाएगी जो 25 मार्च 2024 को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। ज्योतिष की गणना के अनुसार होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजाविधि
होलिका दहन की पूजा के लिए सबसे पहले पूजा करने वाले जातकों को होलिका के पास जाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। इसके बाद पूजन सामग्री जिसमें कि जल, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, गुड़, हल्दी साबुत, मूंग, गुलाल और बताशे साथ ही नई फसल यानी कि गेहूं और चने की पकी बालियां ले लें। इसके बाद होलिका के पास ही गाय के गोबर से बनी गुलरियों की माला रख लें।
संभव हो तो होलिका दहन वाली सामग्री को अग्नि तत्व की दिशा दक्षिण-पूर्व में रखें। अब कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटकर,प्रथमपूज्य श्री गणेशजी का ध्यान करते हुए होलिका और भक्त प्रह्लाद की सभी चीजें अर्पित कर पूजा करें। भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को प्रणाम करते हुए अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। होलिका दहन के बाद अग्नि को जल अर्घ्य दें और अग्निदेव को प्रणाम कर परिक्रमा करें।
होलिका पूजन का महत्व
हमारे सभी धर्मग्रंथों में होलिका दहन में मुहूर्त का विशेष ध्यान रखने की बात कही गई है। नारद पुराण के अनुसार अग्नि प्रज्ज्वलन फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रारहित प्रदोषकाल में सर्वोत्तम माना गया है। होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ नया अन्न यानि गेहूं,जौ एवं चना की हरी बालियों को लेकर पवित्र अग्नि में समर्पित करना चाहिए ऐसा करने से घर में शुभता का आगमन होता है। धर्मरूपी होली की अग्नि को अतिपवित्र माना गया है इसलिए लोग इस अग्नि को अपने घर लाकर चूल्ला जलाते हैं। और कहीं-कहीं तो इस अग्नि से अखंड दीप जलाने की भी परंपरा है।माना जाता है कि इससे न केवल कष्ट दूर होते है,सुख-समृद्धि भी आती है।
शास्त्रों की मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान कर उपवास रखने, होलिका की अग्नि की पूजा से मनुष्य के सभी कष्टों का नाश होता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। होलिका दहन के दिन होली पूजन करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

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