भारत पर आरोप लगा रहे थे कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो

जांच रिपोर्ट में सामने आया चीन का नाम

ओटावा(कनाडा): कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला एक बार फिर उठा है। निज्जर की हत्या पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का बयान सामने आया है। दरअसल, कनाडा में चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप की जांच चल रही है। अब इसमें पीएम ट्रूडो ने गवाही दी है।

पिछले एक वर्ष से भारत पर आरोप लगाने वाले जस्टिन ट्रूडो को उनके ही देश के जांच आयोग ने बड़ा झटका दिया है। कनाडा के जांच आयोग ने ट्रूडो के उन आरोपों को खारिज कर दिया है, जिसमें वह भारत पर शक जाहिर कर रहे थे। आयोग की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि वह काम भारत ने नहीं, चीन ने किया है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जिस काम के लिए भारत पर शक कर रहे थे, उसको लेकर गठित कनाडा आयोग की जांच रिपोर्ट जब सामने आई तो उनके होश उड़ गए। जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर शक करके एक जांच आयोग का गठन किया था, मगर अब जांच रिपोर्ट आई तो उसमें यह पता चला कि जिस काम को लेकर ट्रूडो भारत पर आशंका जता रहे थे, उसे चीन ने किया था। इस सनसनीखेज रिपोर्ट ने जस्टिन ट्रूडो के दिमाग की बत्ती जला दी है। इस रिपोर्ट के सामने आने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रूडो के आरोपों को भी बड़ा झटका लगा है।

बता दें कि यह मामला कनाडा में हुए 2021 के चुनावों से जुड़ा है, जिसमें भारत पर हस्तक्षेप करने का बेबुनियाद आरोप लगाकर आशंका की जा रही थी। मगर अब सच्चाई कुछ और ही निकली है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जस्टिन ट्रूडो द्वारा जीते गए 2021 के चुनावों में भारत ने नहीं, बल्कि चीन ने हस्तक्षेप किया था। यह रिपोर्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि वह कनाडा की एजेंसियों ने ही तैयार की है। ऐसे में जस्टिन ट्रूडो को अब अपने आरोपों पर कुछ तो शर्म जरूर आ रही होगी, जो भारत पर बेबुनियाद तौर पर आशंका जाहिर कर रहे थे।

विपक्ष के दबाव में गठित हुई थी जांच
विपक्षी विधायकों के दबाव के बाद जस्टिन ट्रूडो ने विदेशी हस्तक्षेप पर एक जांच आयोग का गठन किया था। इसमें चीन की संभावित भूमिका पर रिपोर्ट आने से ट्रूडो नाखुश हैं। पहले आरोप लगाया गया था कि भारत ने 2021 के इस चुनाव में हस्तक्षेप का प्रयास किया था, जिसे जस्टिन ट्रूडो ने 2021 में जीता था। मगर चुनावों की निगरानी करने वाले कनाडाई अधिकारियों के एक पैनल ने ऐसे आरोपों को खारिज कर दिया। हालांकि इसमें यह बात सामने आई कि 2019 और 2021 में हुए चुनावों में भारत ने नहीं, बल्कि चीन ने हस्तक्षेप किया था।

ग्लोबल न्यूज ने कही थी ये बात
बीती फरवरी में प्रकाशित ग्लोबल न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सीएसआईएस) की अवर्गीकृत शीर्ष-गुप्त ब्रीफिंग रिपोर्ट के अनुसार चीन के साथ-साथ भारत को कनाडा की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए ‘‘संभावित खतरे’’ के रूप में पहचाना गया था। संघीय आयोग ने दो मतपत्रों को प्रभावित करने में भारत की किसी भी भूमिका की जांच करने के अपने इरादे का संकेत दिया है।

2021 के अभियान के दौरान कंजर्वेटिवों का नेतृत्व करने वाले एरिन ओश्टूल ने आरोप लगाया कि चीनी हस्तक्षेप से उनकी पार्टी को नौ सीटों तक का नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने कहा कि इससे चुनाव का रुख नहीं बदला है। सीएसआईएस मूल्यांकन में कहा गया है, ष्राज्य अभिनेता कनाडा में सफलतापूर्वक विदेशी हस्तक्षेप करने में सक्षम हैं, क्योंकि इसके कुछ कानूनी या राजनीतिक परिणाम हैं।

कनाडा के अधिकारियों ने अब भारत पर लगे आरोपों को किया खारिज
आरोपों की जांच पूरी होने पर अब खबर आई है कि जांच में शामिल अधिकारियों को भारत का कोई एंगल नहीं मिला, लेकिन, जांच के नतीजों में पाया गया कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) ने चुनावों को प्रभावित किया था। उम्मीद थी कि प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो एक सरकारी वकील के सामने पेश होंगे। एक चुनाव अधिकारी ने जांच पैनल को बताया, मुझे नहीं लगता कि अभियान में उन उपकरणों का उपयोग करने वाली भारत सरकार के खिलाफ कोई सबूत है। वहीं भारत भी कनाडा के चुनावों में अपने किसी भी हस्तक्षेप के आरोप को खारिज कर चुका है।

हरदीप निज्जर मामले में भी कनाडा लगा चुका है भारत पर आरोप
पिछले साल सितंबर में कनाडाई प्रधान मंत्री ने हाउस ऑफ कॉमन्स में अपने भाषण के दौरान आरोप लगाया था कि भारत सरकार सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल थी। यह घटना पिछले साल जून में हुई थी, लेकिन ट्रूडो ने पिछले साल सितंबर में नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन छोड़ने के कुछ दिनों बाद भारत की भागीदारी का आरोप लगाया था।
इस आरोप ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों पर एक महत्वपूर्ण असर डाला है। दोनों देशों ने वरिष्ठ राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और भारत ने कुछ समय के लिए वीजा संचालन रोक दिया था। तब से, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने कई मौकों पर मुलाकात की, लेकिन राजनयिक क्षेत्र में बहुत कम प्रगति देखी गई है।

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