आर्थिक और अन्य कारणों से शहरों में 50%, ग्रामीण इलाकों में 62% डॉक्टरों के पास नहीं जाते…

नयी दिल्ली: देशभर के शहरी क्षेत्रों में किये गये सर्वेक्षण में शामिल करीब 50 फीसदी बुजुर्ग आर्थिक तंगी और परिवहन संबंधी चुनौतियों के कारण नियमित रूप से चिकित्सकों के पास नहीं जाते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 62 प्रतिशत से अधिक है। देशभर में बुजुर्गों पर किये गये सर्वेक्षण पर आधारित एक नई अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

भारत में बुजुर्गों से जुड़ा एक सर्वे में किया गया. इस दौरान सर्वे में शामिल होने वाले शहरी इलाकों के लगभग आधे लोगों ने बताया कि वित्तीय बाधाओं और तार्किक चुनौतियों के कारण नियमित रूप से डॉक्टरों के पास नहीं जाते हैं.

ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 62 फीसदी से ज्यादा है. स्टडी में सैंपल साइज 10 हजार था. संगठन ने हाल ही में सर्वे के दौरान प्राप्त कुछ प्रतिक्रियाओं के उदाहरण साझा किए.

एजेंसी के मुताबिक इसमें कहा गया है कि आगरा के 78 वर्षीय प्रभाकर शर्मा, एक दशक से गठिया से जूझ रहे हैं. उन्हें नियमित जांच के लिए अस्पतालों में जाना दर्दनाक और कठिन लगता है. वो अक्सर जरूरी मेडिकल जांचों के लिए सफर करने से बचते हैं. उन्होंने एनजीओ को बताया, “अगर डोर-स्टेप या मोबाइल स्वास्थ्य जांच सेवाएं होतीं, तो यह मेरे जैसे लोगों के लिए बहुत मददगार होतीं.”

‘अगर मेरे पास मेडिक्लेम पॉलिसी होती…’
स्टडी के मुताबिक, लुधियाना में 72 वर्षीय राजेश कुमार को एक अलग समस्या का सामना करना पड़ता है. इसमें कहा गया है कि पूरी तरह से अपनी रिटायरमेंट पेंशन पर निर्भर राजेश को स्वास्थ्य सेवाओं की अत्यधिक लागत बाधा पैदा करती है. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, “अगर मेरे पास कुछ मेडिक्लेम पॉलिसी होती, तो शायद मैं बेहतर चिकित्सा सेवाएं खरीद पाता.”

स्टडी में भारत के अंदर बुजुर्गों के सामने आने वाले मुद्दों के व्यापक नजरिए पर बात करने की कोशिश की गई है.
NGO ने कहा कि शहरी इलाकों में सर्वे में शामिल किए गए 48.6 फीसदी बुजुर्गों के मुताबिक वो वित्तीय बाधाओं और तार्किक चुनौतियों के कारण नियमित रूप से डॉक्टरों के पास नहीं जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 62.4 फीसदी है.

30 फीसदी से ज्यादा बुजुर्ग जरूरत पड़ने पर हॉस्पिटल जाते हैं…
स्टडी में कहा गया है कि शहरी इलाकों के 36.1 फीसदी बुजुर्गों ने कथित तौर पर दावा किया कि वे जरूरत पड़ने पर अस्पतालों और डॉक्टरों के पास जाते हैं. यह भी दावा किया गया कि परिवार की गतिशीलता ने इस पहलू में अहम भूमिका निभाई क्योंकि सर्वे में शामिल 24 फीसदी लोग अकेले रहते थे.

इसमें कहा गया है कि बुजुर्गों के बीच, स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां सार्वजनिक और सामाजिक जीवन में बुजुर्गों की भागीदारी में सबसे बड़ी बाधा बनकर उभरती हैं. एनजीओ ने कहा कि अप्रैल 2024 में किए गए सर्वे में भारत के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 510 वॉलंटियर्स द्वारा कुल 10 हजार लोगों पर स्टडी की गई. इसमें कहा गया है कि स्टडी में शामिल लोगों में से 4,741 ग्रामीण और 5,259 शहरी इलाकों से थे.

सर्वे के दौरान 38.5 फीसदी से ज्यादा बुजुर्गों ने दावा किया कि उनकी मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति खराब या बहुत खराब है. 23.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति को औसत कहा जा सकता है.

स्टडी में कहा गया है कि सर्वे में शामिल करीब 54.6 फीसदी बुजुर्गों की कुल वित्तीय स्थिति खराब या बहुत खराब थी, 23.3 फीसदी बुजुर्गों ने दावा किया कि उनकी वित्तीय स्थिति को औसत से ऊपर कहा जा सकता है.

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