गोरखपुर के एसएसपी का नवाचार आमजन के लिए बना वरदान
शिकायतों के निपटारे और जवाबदेही के लिए शुरू कराई कंप्यूटरीकृत व्यवस्था

गोरखपुरः पुलिस की लापरवाह छवि और फरियादियों के प्रति टरकाऊ व्यवहार की आमधारणा को एक अधिकारी ने अपने नवाचार से बदल डाला। यह नवाचारी कोई और नहीं, मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर के सीनियर सुपरिटेंडेंट आफ पुलिस डा. गौरव ग्रोवर हैं।
गोरखपुर के सीनियर सुपरिटेंडेंट आफ पुलिस डा. गौरव ग्रोवर ने 2022 में गोरखपुर जिले की कमान संभाली तैनाती के एक माह बाद ही पुलिस कार्यालय आने वाली शिकायतों के बदले शिकायतकर्ता को कंप्यूटरीकृत पर्ची देनी शुरू की। यह एक पर्ची पुलिसिंग में व्यापक बदलाव का सूत्रधार बनी और देखते ही देखते जिला पुलिस की नई छवि गढ़ डाली। पर्ची पर शिकायतकर्ता की फोटो सहित नाम पता मोबाइल नंबर होता है।
2022 में इन्होंने जिले की कमान संभाली, तो पुलिस के प्रति परंपरागत सोच बदलने का मन बनाया। तैनाती के एक माह बाद ही पुलिस कार्यालय आने वाली शिकायतों के बदले शिकायतकर्ता को कंप्यूटरीकृत पर्ची देनी शुरू की। यह एक पर्ची पुलिसिंग में व्यापक बदलाव का सूत्रधार बनी और देखते ही देखते जिला पुलिस की नई छवि गढ़ डाली।
एक पर्ची ने बदल दी पुलिसिंग, शिकायतों की हो रही रियल टाइम निगरानी
इस पर्ची पर शिकायतकर्ता की फोटो सहित नाम, पता और मोबाइल नंबर होता है। हर पर्ची के लिए एक यूनिक नंबर आवंटित होता है। शिकायतकर्ता को पर्ची की एक प्रति दी जाती है। फरियादी के पर्ची दिखाने पर यूनिक नंबर से पता चल जाता है कि उसकी शिकायत की क्या स्थिति है।
एक सप्ताह में जांच पूरी कर रिपोर्ट लगाने की अनिवार्यता होती है, जो हो भी रहा है। फरियादी की शिकायत पर एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई नहीं होती है, तो थाना व चौकी प्रभारी को पुलिस कार्यालय तलब किया जाता है। रोजाना दर्ज होने वाली शिकायतों की निगरानी एसएसपी खुद करते हैं।
थाने पर भटक रहे थे पर्ची से मिला न्याय
चिलुआताल, कुड़वा की रहने वाली मनीषा, ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग थी। जब भी थाने जाती, पुलिसकर्मी घरेलू विवाद बताकर टरका देते। पांच फरवरी को मनीषा ने एसएसपी कार्यालय पहुंचकर गुहार लगाई तो उनकी शिकायती पर्ची पर मानीटरिंग शुरू हो गई।
थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर ससुराल वालों पर दबाव बनाया तब जाकर मनीषा को मुक्ति मिली। थाना पुलिस की उपेक्षा से जुड़ी कुछ ऐसी ही परेशानी बड़हलगंज, बैदौली के रहने वाले नीरज पाल की थी। जमीन दिलाने का झांसा देकर चिल्लूपार के व्यक्ति ने साढ़े 15 लाख रुपये ले लिए। नीरज को जमीन मिली न रुपये।
थाने का चक्कर काटकर परेशान हो चुके नीरज ने एसएसपी कार्यालय पहुंचकर पीड़ा बताई। यहां मिली शिकायती पर्ची पर पुलिस ने न केवल मुकदमा दर्ज किया बल्कि गिरफ्तारी के प्रयास भी शुरू हो गए। मनीषा, नीरज जैसे 19 हजार से अधिक फरियादियों को नई व्यवस्था से अब तक त्वरित न्याय मिल चुका है।
पर्ची सिस्टम से भू-माफिया पर कसा शिकंजा
एसएसपी डा.गौरव ग्रोवर का कहना है कि पर्ची सिस्टम से आसानी से पता चल जाता है कि किस थाना क्षेत्र से कितनी और किस संबंध में शिकायतें आईं। पिछले दिनों समीक्षा करने पर पता चला कि एम्स थाना क्षेत्र में भूमि बेचने के नाम पर जालसाजी की शिकायत ज्यादा आ रही हैं।
इसके बाद कार्रवाई के लिए पूरे जिले में अभियान चलाया गया। मुकदमा दर्ज कर आरोपितों को जेल भेजने के साथ ही गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई कर उनकी संपत्ति भी जब्त कराई गई। कमलेश यादव, ओमप्रकाश पांडेय, दीनानाथ सरीखे भूमाफिया इसके उदाहरण हैं।
जेल गया फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाला गैंग
पर्ची सिस्टम से ही फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर रुपये हड़पने और वसूली करने वाले गैंग का पर्दाफाश हुआ था। इस मामले में अस्पताल संचालक, उसके गिरोह की तीन महिला सदस्य को पुलिस ने पकड़ा था। अब इनके विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी है।
थाने में भी मिलती है पर्ची
एसएसपी ने जिले के प्रत्येक थाने में पर्ची सिस्टम चलाया है। फरियादियों के लिए जन शिकायत अधिकारी की तैनाती की गई है, जहां पर रोस्टर से महिला व पुरुष पुलिसकर्मी की ड्यूटी लगती है। शिकायती पत्र लेने के बाद फरियादी को पर्ची दी जाती है। फरियादी के पास इस बात का रिकार्ड रहता है कि वह थाने पर गया था।