इजरायल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज रक्षा क्षेत्र में बढ़ा रही मेक इन इंडिया की प्रतिबद्धता
केंद्र सरकार की मेक इन इंडिया नीति में निरंतर भागीदारी

नई दिल्ली में एएसआई के आधिकारिक शुरुआत के मौके पर आईएआई के प्रेसिडेंट और मुख्य कार्य अधिकारी बोज लेवी और आईएआई एयर और मिसाइल डिफेंस डिविजन के उपाध्यक्ष और महाप्रबंधनक ड्रोर बार ने भास्वर कुमार के साथ भारत के लिए भविष्य की रणनीति और रक्षा परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के मसले पर बातचीत की। मुख्य अंशः
एएसआई आपके भारतीय कारोबार में कैसे फिट बैठती है?
बोज लेवीः एएसआई की शुरुआत केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया (आत्मनिर्भर भारत) के प्रति आईएआई की प्रतिबद्धता दर्शाता है। यह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ साझेदारी के प्रति आईएआई की प्रतिबद्धता भी दिखाता है। एएसआई संपूर्ण मध्यम दूरी से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) प्रणाली के आईएआई का एकमात्र अधिकृत तकनीक है। इसका उपयोग भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना द्वारा वायु और मिसालइल रक्षा के लिए किया जाता है।
एएसआई की शुरुआत मेक इन इंडिया दृष्टिकोण की दिशा में हमारा पहला बड़ा मील का पत्थर है। नई दिल्ली के जीएमआर एरोसिटी में एएसआई की सुविधा सशस्त्र बलों के लिए सही समाधान प्रदान करने में लगने वाले समय को कम कर देगी।
एएसआई की उत्पत्ति अक्टूबर 2022 में हुई थी, जब सहायक कंपनी के बारे में पहली बार डेफ एक्सपो 2022 में बताया गया था। इसके करीब डेढ़ साल बीत गए हैं अब एएसआई के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?
बोज लेवीः एमआरएसएएम सबसे प्रसिद्ध परियोजना है जिस पर भारत और इजरायल के एक साथ काम किया है। इसे न केवल उत्पादित किया गया था बल्कि आईएआई और डीआरडीओ ने संयुक्त प्रयास कर इसका डिजाइन भी तैयार किया था।
इस सफलता के बूते आईएआई एएसआई के साथ अपने भारतीय परिचालन में एक नए अध्याय की ओर बढ़ रहा है। आगे चलकर हम भारत की रक्षा क्षमताओं को उच्चतम स्तर पर लाने के लिए कई परियोजनाओं पर भारतीय अधिकारियों और वेंडरों के साथ सहयोग करेंगे।
आईएआई ने पिछले साल जुलाई में इजरायल की एल्टा सिस्टम लिमिटेड की भारतीय सहायक कंपनी हेला सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड खरीदने के लिए करार किया था। एएसआई की शुरुआत के साथ भारत के लिए आपकी क्या रणनीति है?
बोज लेवीः भारत को आत्मनिर्भर बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने के लिए आईएआई को एक स्थानीय संरचना तैयार करना होगा, जो देश की सभी जरूरतों को पूरा कर सके। आईएआई को असंख्य भारतीय कंपनियों की एक संरचना तैयार करनी है। हम यही कर रहे हैं।
एएसआई के अलावा आईएआई यूएवी (वैसे विमान जिनमें पायलट और यात्री न हों) के लिए एक अलग कंपनी के साथ काम कर रही है। आईएआई ने हेला सिस्टम का अधिग्रहण किया। हम भारत में कई संयुक्त उद्यम (जेवी) में भी प्रवेश कर रहे हैं।
भारत में आईएआई की भावी रक्षा परियोजनाएं क्या हैं?
बोज लेवीः आईएआई अब यूएवी के लिए एचएएल के साथ महत्त्वपूर्ण सहयोग पर काम कर रहा है। आईएआई का मानना है कि इसका परिणाम एचएएल के संयुक्त रूप से तैयार किया गया यूएवी हो सकता है।
यूएवी के अलावा कोई अन्य परियोजनाएं भी हैं?
ड्रोर बारः आईएआई भारतीय नौसेना के लिए परियोजनाओं पर विचार कर रही है। उम्मीद है कि इसके सभी फ्रंटलाइन युद्धपोत एमआरएसएस प्रणाली से लैस रहेंगे। इस प्रणाली से लैस नए जहाजों को एक सामान्य नेटवर्क से जोड़ा जाएगा और एकीकृत कार्यबल के रूप में काम करने में सक्षम किया जाएगा। आईएआई भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के भविष्य के कार्यक्रमों में भी शामिल है।
आईएआई में वेंडर परिवेश कितना बड़ा है?
बोज लेवीः भारत में आईएआई के संपर्क में 200 से अधिक कंपनियां हैं और हमारे परिवेश में करीब 70 कंपनियां शामिल हैं जिनके साथ हम काम कर रहे हैं। आईएआई भारत में प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए भी अनुसंधान कर रही है। हमने करीब दो हफ्ते पहले व्यावहारिक अनुसंधान पर सहयोग के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के साथ भी करार किया है।