लोकसभा चुनाव24: इन्दौर कांग्रेस को भाजपा का बड़ा झटका

भाजपा के पाले में कैसे पहुंच गए अक्षय?

इन्दौर(मध्यप्रदेश): लोकसभा चुनाव में मतदान से कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के उम्मीदवार अक्षय बम ने पाला बदल लिया है. अब वह भाजपा की तरफ हैं. अक्षय के इस कदम से कांग्रेस समर्थकों को भी धक्का लगा है. इंदौर, वैसे तो भाजपा का गढ़ है लेकिन अब अक्षय के इस कदम से यहां भाजपा की जीत भी पक्की नजर आने लगी है. क्योंकि भाजपा को यहां कोई दल टक्कर दे सकता है तो वो कांग्रेस ही है. लेकिन अक्षय की नाम वापसी के बाद कांग्रेस भी मैदान में नहीं है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अक्षय ने मतदान से कुछ दिन पहले ही भाजपा का साथ क्यों पकड़ा?

इंदौर सीट के उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 29 अप्रैल यानि आज थी. ऐसे में कांग्रेस के पास कोई विकल्‍प नहीं बचा है. इस तरह अक्षय कांति बम ने एक तरह से सियासी बम फोड़ दिया है. इससे पहले सूरत सीट पर भी ऐसा ही कुछ हुआ था, जहां बीजेपी उम्मीदवार को निर्विरोध जीत मिल गई थी.

कांग्रेस को बड़ा झटका
चुनावी मौसम में दल बदलने की पुरानी रवायत रही है. लेकिन इस बार कांग्रेस का हाथ छोड़ने वालों की संख्या ज्यादा है. अक्षय की बात करें तो उनका भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए हार जैसा है. अक्षय ने कांग्रेस के लिए कोई रास्था नहीं छोड़ा है. आसान शब्दों में कहें तो अक्षय के कदम के बाद इंदौर में कांग्रेस के लिए कुछ खास बचा नहीं है. लोकसभा चुनाव में इंदौर से कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं बचा.

अक्षय का हलफनामा सुर्खियों में
अक्षय के नाम वापसी के बाद उनका हलफनामा सुर्खियों में है. चुनाव आयोग को सौंपे गए बाम के हलफनामे के अनुसार उनके खिलाफ तीन मामले लंबित हैं. दो मामले भूमि विवाद से संबंधित हैं, जबकि उनके खिलाफ तीसरे मामले में 2018 में लापरवाही से गाड़ी चलाने से संबंधित अपराध शामिल है. कांग्रेस पार्टी के सूत्रों की मानें तो एक वरिष्ठ नेता ने इंदौर से चुनाव लड़ने में अनिच्छा जताई तो बाम को टिकट दिया गया था. लेकिन अब अक्षय भी कांग्रेस को साथ छोड़ चुके हैं.

तीन दिन पहले बढ़ाई गई धारा
गौर करने वाली बात यह है कि अक्षय बम पर तीन दिन पहले ही 17 साल पहले दायर किए गए मुकदमे में कोर्ट के आदेश पर हत्या के प्रयास की धारा बढ़ाई गई है. उन्हें हत्या के प्रयास का आरोपी बनाया गया है. चुनावी मौसम में ऐसा हुआ तो समझो मुश्किल बढ़ने वाली है. मुकदमा दर्ज होने के तीन दिन बाद ही अक्षय ने कांग्रेस को छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए. वैसे तो राजनीति में उतार-चढ़ाव का कोई मीटर नहीं होता. राजनीति के दंगल में पहले दो-दो हाथ और फिर विरोधी का ही हमराह बनकर एक ही झंडे और निशान पर नारा बुलंद करना पुराना रिवाज है. इत्तेफाक ही है कि अक्षय तीन दिन पहले तक भाजपा के खिलाफ नारा बुलंद कर रहे थे लेकिन अब भाजपा के पक्ष में आ गए हैं.

कौन हैं अक्षय बम?
मध्यप्रदेश के बड़े कारोबारी परिवार से आने वाले अक्षय बाम ने अपनी स्कूली शिक्षा इंदौर के डेली कॉलेज में की. उन्होंने मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज से बी.कॉम किया है. उन्होंने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से कानून और सार्वजनिक प्रशासन की पढ़ाई की. बाम ने राजस्थान के श्रीधर विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट में पीएचडी भी हासिल की है. बाम सामाजिक समूह ‘संस्था केशरिया’ के नेता भी हैं जो वंचित छात्रों को छात्रवृत्ति, पढ़ाई के लिए सामग्री और करियर सलाह के साथ मदद करता है. 2019 में उन्हें राज्य में कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा आइकन ऑफ एमपी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

कांग्रेस के कई दिग्गज भाजपा में शामिल
बता दें कि बाम एकमात्र नेता नहीं हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को छोड़ा है. हाल के महीनों में इंदौर में सुरेश पचौरी, पंकज संघवी और विशाल पटेल सहित कई प्रमुख नेताओं ने कांग्रेस से मुंह मोड़कर भाजपा का रुख किया है. विधानसभा चुनाव में इंदौर-1 से भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ ताल ठोकने वाले पूर्व विधायक संजय शुक्ला भी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भगवा खेमे में शामिल हो चुके हैं.

इंदौर से अब कुछ 14 उम्मीदवार मैदान में हैं. यहां से कुल 23 नामांकन दाखिल किए गए थे. 23 में से 9 ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. लिहाजा अब इंदौर लोकसभा सीट पर मुकाबला 14 प्रत्याशियों के बीच होगा. अब इंदौर से बीजेपी प्रत्याशी और मौजूदा सांसद शंकर लालवानी समेत बाकी 14 उम्मीदवारों के लिए तय कार्यक्रम के मुताबिक मतदान होगा.

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