मालदीव के विदेश मंत्री ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने पर दिया जोर

हिंद महासागर क्षेत्र में प्रमुख भागीदार बताया

नई दिल्ली: पहली बार आधिकारिक दौरे पर भारत आए मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कहा, यात्रा काफी अच्छी रही। गर्मजोशी से स्वागत के बाद भारतीय समकक्ष डॉ एस जयशंकर के साथ बहुत उपयोगी चर्चा हुई। उन्होंने कहा, वे भारत सरकार और विदेश मंत्रालय को धन्यवाद देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, अगर आप वास्तव में 1965 में वापस जाएं, जब मालदीव स्वतंत्र हुआ तो भारत मालदीव को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।

भारत और मालदीव दोनों देशों की जनता को लाभ मिलेगा
मूसा जमीर के मुताबिक बीते करीब 55 वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच बहुत उपयोगी द्विपक्षीय संबंध रहे हैं। दोनों देशों की जनता के बीच निरंतर संपर्क भी रहा है। विदेश मंत्री जमीर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमारे बीच एक बहुत ही सहजीवी संबंध है। इससे दोनों देशों के लोगों को लाभ मिलता है। मालदीव इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट है कि उसे भारत के साथ रिश्ते मजबूत रखने हैं। हम बहुत अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं। इससे मालदीव के लोगों और भारत के लोगों को लाभ मिलेगा। रिश्ते आगे बढ़ेंगे।

बड़बोले मंत्रियों पर क्या बोले विदेश मंत्री मूसा
भारत के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी से जुड़े एक सवाल पर विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कहा, मालदीव पहले ही साफ कर चुका है कि मंत्रियों का बयान सरकार का आधिकारिक रुख नहीं है। हमारा मानना है कि ऐसी टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए थी। हम यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कार्रवाई कर रहे हैं कि आने वाले समय में ऐसे बयान न दिए जाएं। मूसा के मुताबिक संबंधों की तल्खी को लेकर सोशल मीडिया पर गलतफहमी फैल गई है। मालदीव और भारत की सरकारें समझती हैं कि क्या हुआ है। दोनों सरकारें उस चरण को पार कर चुकी हैं।

मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी पर बयान
भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी और भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग पर विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मालदीव-भारत रक्षा संबंध सैन्य कर्मियों की वापसी के मुद्दे से अलग हैं। जो मंच सैन्य कर्मियों के जिम्मे थे, अब उन्हें नागरिकों के नियंत्रण में होना चाहिए। मालदीव की सेना और भारतीय सेना ने श्रीलंका के साथ एक संयुक्त अभ्यास भी किया। मुझे लगता है कि बांग्लादेश पर्यवेक्षक है। संयुक्त सैन्य अभ्यास जारी रहेगा। मूसा जमीर ने कहा, हिंद महासागर की शांति और सुरक्षा मालदीव के साथ-साथ भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। हम मिलकर हिंद महासागर को एक शांतिपूर्ण स्थान बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।

भारत मालदीव के रिश्तों पर नजर, क्यों अहम है विदेश मंत्री का दौरा
बता दें कि हिंद महासागर में आपसी समुद्री सहयोग के लिए भारत SAGAR की नीति पर चलता है। इसका मतलब सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन (SAGAR) है। विदेश मंत्री मूसा का भारत दौरा इस मायने में भी अहम है क्योंकि पिछले कुछ महीने से भारत और मालदीव के संबंधों की तल्खी उभरी हैं। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने चुनावी अभियान में ‘इंडिया आउट’ जैसे नारों का सहारा लिया, तो दूसरी तरफ उनके मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप प्रवास पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। इसके बाद पर्यटन पर आधारित देश मालदीव को सोशल मीडिया पर कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था।

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