केवल 5 जड़ी बूटियां फेफड़ों में जमा कफ को बाहर निकाल देंगी

सूजन-सांस फूलने की समस्या भी होगी दूर

फेफड़ों की बीमारियों और अस्थमा में सांस लेने में कई बार तकलीफ होती है। बार-बार कफ या बलगम का निकलना, श्वास नली में सूजन, सांस लेने में मुश्किल, और खांसी के लक्षण समस्याओं में शामिल होते हैं। आयुर्वेद अस्थमा को उपचार करने के लिए विभिन्न हर्ब्स का प्रयोग करता है। यहां हम जानेंगे कौन से आयुर्वेदिक उपचार हमें इन समस्याओं से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं।

हर्बल टी:-
फेफड़ों में बलगम या कफ जमा हो या अस्थमा की समस्या हो तो हर्बल टी बहुत काम आएगी। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बनी हर्बल टी पीने से उनकी गर्माहट से कफ या बलगम पतली हो जाती हैं और बाहर निकलने लगती है। अजवायन, तुलसी, काली मिर्च और अदरक के मिश्रण से बनी हर्बल चाय अस्थमा के रोगियों के लिए बेहतर उपाय है क्योंकि यह कफ को खत्म करती है।
शहद और प्याज:-

एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच शहद और थोड़ा प्याज का रस और थोड़ी सी काली मिर्च मिलकार पीएं। ये लंग्स (स्नदहे) को साफ करेगी और कफ और बलगम को आसानी से पिघला देगी। इससे कंजेशन दूर होगा और सांस लेना आसान होगा।

सरसों तेल की मसाज:-
सरसों के तेल में लहसुन और अजवाइन मिलाकर पका लें और इसी तेल से सीने पर मालिश करें। कफ पिघलने लगेगी। मालिश करने से फेफड़ों को गर्माहट मिलती है जिससे छाती में जमा कफ दूर होता है और सांस लेना आसान बनता है।
शहद और लौंग:-

फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए लौंग और शहद का मिश्रण एक परफेक्ट रेमेडी है। आप अस्थमा (।ेजीउं) के लक्षणों से राहत पाने के लिए एक गिलास गर्म पानी और शहद के साथ लौंग चबा सकते हैं। यह क्रोनिक ब्रोन्कियटिस, लंग इंफेक्शन, बलगम और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए बहुत मददगार है।
हल्दी की चाय:-

करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला सबसे शक्तिशाली तत्व है और इसकी वजह से हल्दी का रंग पीला होता है। हल्दी में कुछ औषधीय और एंटीऑक्सीडेंट घटक शामिल हैं, जिनमें से सूजन को रोकने की इसकी क्षमता है। इसके लिए आप हल्दी का पानी या चाय पी सकते हैं।

(सलाह:-इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है अतः इस बारे में किसी चिकित्सक से सया एक्सपर्ट से सलाह जरूर ले लें)

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