भारत में बैन हों पाकिस्तानी कलाकार: जावेद अख्तर

एकतरफा रिश्ता कब तक? लता मंगेशकर को कभी पाकिस्तान नहीं बुलाया

मुम्बई : गीतकार जावेद अख्तर ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर रिएक्ट किया है। उनका कहना है कि इस समय जैसे भारत-पाकिस्तान के संबंध है ऐसे में पाक कलाकारों का यहां काम करना सही नहीं होगा।

22 अप्रैल को पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ, उसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए। यहां तक कि पाक एक्टर फवाद खान की फिल्म ‘अबीर गुलाल’ पर बैन लगा दिया और सभी पाकिस्तानी कलाकारों को भी देश में पूरी तरह से बैन कर दिया। वहीं, दिलजीत दोसांझ की फिल्म से पाकिस्तानी एक्ट्रेस हानिया आमिर को भी बाहर निकाल दिया है। अब जावेद अख्तर ने पाकिस्तानी कलाकारों को बैन किए जाने पर रिएक्ट किया है। जावेद अख्तर ने भारत के प्रति पाकिस्तान के एकतरफा रवैये पर तीखे सवाल उठाए।

जावेद अख्तर ने ‘पीटीआई’ से बातचीत में कहा, ‘पहला सवाल यह होना चाहिए कि क्या हमें पाकिस्तानी कलाकारों को यहां आने देना चाहिए। इसके दो जवाब हैं, दोनों ही समान रूप से लॉजिकल हैं। यह हमेशा एकतरफा रहा है। नुसरत फतेह अली खान, गुलाम अली, नूरजहां भारत आए, हमने उनका बहुत अच्छा स्वागत किया… फैज अहमद फैज, जो महान कवि हैं, वह पाकिस्तान में रहते थे। जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वह भारत आए, तो उनके साथ एक राष्ट्राध्यक्ष जैसा व्यवहार किया गया, सरकार द्वारा बहुत सम्मान दिया गया।’

‘लता मंगेशकर को पाकिस्तान नहीं बुलाया गया, ये एक तरफा रहा’
जावेद अख्तर ने आगे कहा, ‘लेकिन मुझे नहीं लगता का पाकिस्तान ने कभी पलटकर इसका जवाब दिया हो। मुझे पाकिस्तान के लोगों से कोई शिकायत नहीं है। पाकिस्तान के बड़े-बड़े कवियों ने लता मंगेशकर के लिए गीत लिखे हैं। 60 और 70 के दशक में लता मंगेशकर भारत और पाकिस्तान की सबसे लोकप्रिय गायिका थीं, लेकिन पाकिस्तान में लता मंगेशकर का एक भी कार्यक्रम क्यों नहीं हुआ?’

‘हम पाकिस्तान में किसे खुश कर रहे हैं? सेना और कट्टरपंथी, यही तो वो चाहते हैं?’
‘मैं पाकिस्तान के लोगों से शिकायत नहीं करूंगा। उन्हें पाकिस्तानी आवाज ने खूब प्यार किया, लेकिन कुछ रुकावटें थीं, रुकावटें सिस्टम की थीं, जो मुझे समझ में नहीं आतीं। यह एकतरफा रहा है। दूसरा सवाल भी उतना ही वैध है, अगर हम पाकिस्तानी कलाकारों को ब्लॉक करते हैं, तो हम पाकिस्तान में किसे खुश कर रहे हैं? सेना और कट्टरपंथी, यही तो वो चाहते हैं? वो दूरी चाहते हैं, यह उन्हें सूट करता है। ये दोनों सवाल समान रूप से वैध हैं। इस समय, मैं कहूंगा नहीं।’

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