श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: हाईकोर्ट में पांच घंटे तक चली बहस

जो भूमि भगवान की है वह सदैव उन्हीं की रहेगी

प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद में सिविल वाद की पोषणीयता पर उठे सवालों के जवाब में मंदिर पक्ष के वकील ने अपनी दलीलों में कहा कि पूजा स्थल कानून व वक्फ एक्ट मौजूदा मामले में बाधक नहीं है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत कर रही है।

ईदगाह के वकीलों की बहस पूरी होने के बाद मंगलवार को मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने करीब पांच घंटे तक अपनी दलीलें पेश कीं। कहा कि सिविल वाद की पोषणीयता में पूजा स्थल अधिनियम बाधक नहीं हो सकता। जन्मभूमि भगवान कृष्ण थी और उन्हीं की रहेगी। यह आदिकालीन सत्य है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म विवादित भूमि पर स्थित कारागार में हुआ था। इस विवादित स्थल का धार्मिक स्वरूप हमेशा मंदिर का रहा है। इस स्वरूप को बदला नहीं जा सकता है।

मंदिर पक्ष ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में पूजा स्थल कानून और वक्फ एक्ट लागू नहीं होगा। इसके लिए उन्होंने कई तर्क दिए। साथ ही कहा कि लिमिटेशन एक्ट भी इस वाद में प्रभावी नहीं होगा। 1968 में किए गए समझौता को भी गैरकानूनी बताया। पूजा-स्थल कानून का जिक्र करते हुए कहा कि यह मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा पर भी यह लागू है।
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इसके अनुसार मंदिर के धार्मिक स्वरूप को नहीं बदला जा सकता। बताया कि 1968 में समझौता के बाद मस्जिद अस्तित्व में आई है, उसके पहले वहां मंंदिर था। ऐसे में पूजा-स्थल के तहत मंदिर के स्वरूप को बदला नहीं जा सकता। इस संबंध में कई तर्क दिए। वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि यह वाद पोषणीय नहीं है। पूजा स्थल कानून, वक्फ एक्ट और लिमिटेशन एक्ट का उल्लंघन है। अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होनी है।

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