किसी को राहुल या लालू यादव नाम के कारण चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका पर विचार करने में रुचि नहीं दिखाई तो याचिकाकर्ता के वकील वीके बीजू ने इसे वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति संतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

याचिका में मांग की गई थी कि इस मुद्दे को हल करने के लिए एक तंत्र बनाया जाए और इसके प्रति कदम उठाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाएं। बता दें, हमनाम उम्मीदवार वे होते हैं, जिनका नाम किसी दूसरे उम्मीदवार से मिलता-जुलता होता है।

वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका पर विचार करने में रुचि नहीं दिखाई तो याचिकाकर्ता के वकील वीके बीजू ने इसे वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति संतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। अधिवक्ता बीजू ने साबू स्टीफन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कही यह बात
पीठ ने स्टीफन की ओर से पेश वकील से कहा कि अगर कोई व्यक्ति जिसका नाम राहुल गांधी है या फिर ऐसा कोई व्यक्ति जिसका नाम लालू प्रसाद यादव है तो क्या उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। क्या इससे उनके अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं होगा। अगर किसी के माता-पिता ने यह नाम रख दिया है तो क्या सिर्फ नाम उनके चुनाव लड़ने के अधिकार में बाधा बन सकता है। इसके बाद वकील ने पीठ से कहा कि उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दी जाए।

याचिका में की गई मांग
याचिकाकर्ता ने मुद्दे को बेहद गंभीर बताते हुए याचिका दायर की। चुनाव संचालन नियम- 1961 का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि यदि दो या दो से अधिक उम्मीदवारों का एक ही नाम है तो उन्हें व्यवसाय, निवाय या किसी अन्य तरीके से अलग किया जाएगा।

याचिका में कहा गया कि ‘हमनाम’ उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की प्रथा गलत है। यह मतदाताओं के मन में भ्रम पैदा करने की पुरानी चाल है। याचिका में कहा गया कि इस तरह की प्रथा को कम करने की आवश्यकता है। क्योंकि हर एक वोट उम्मीदवार के भविष्य का फैसला करता है।

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