यूपी मदरसा एक्ट केस में हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने में भूल की, सरकार को नोटिस जारी

नई दिल्ली: यूपी के मदरसा एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई. यूपी के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने में भूल की है. हाईकोर्ट का ये मानना कि ये एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र, यूपी सरकार और यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड को नोटिस जारी किया.

यूपी मदरसा एक्ट 2004 रद्द होने की वजह
लेकिन जांच में पाया गया है कि सरकार के पैसों से मदरसों से धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसे धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांतों के विपरीत माना है और असंवैधानिक करार दे दिया था. जिससे सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता राशि बंद हो जाएगी. ऐसे में अब इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया. जहां आज इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी.

यूपी मदरसा एक्ट 2004 क्यों बना?
जान लें कि यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था. जिसके तहत मदरसों को बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ न्यूनतम मानकों को पूरा करना जरूरी था. बोर्ड मदरसों को पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री और शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए भी दिशा-निर्देश जारी करता था.

गौरतलब है कि एक मदरसे के मैनेजर अंजुम कादरी और बाकी की ओर से दायर याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे मनमाना बताया गया. याचिका में कहा गया कि इस फैसले के चलते मदरसों में पढ़ रहे लाखों बच्चों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. लिहाजा जब तक सुप्रीम कोर्ट कोर्ट मदरसा एक्ट की संवैधानिक वैधता पर फैसला लेता है, तब तक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगे.

Related Articles

Back to top button