सन् 1985 तक भारत में 85 प्रतिशत तक लगता था इनहेरिटेंस टैक्स

राजीव गांधी सरकार को खत्म करना पड़ा था ये टैक्स

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रौदा ने देश में एक बार फिर से ‘‘इनहेरिटेंस टैक्स’’ को लेकर बयान दिया है तब से इस टैक्स को लेकर बवाल मच गया है. उन्होंने इनडायरेक्ट तौर पर अमेरिका में लगाए जाने वाले विरासत टैक्स की वकालत की है।

इससे चंद रोज पहले ही राहुल गांधी इसी प्रकार की बात करते हुये ‘भारत में आर्धिक सर्वे और उसके बाद लोगों में अधिक धन वालों का धन लेने की बात कर चुके है।

इसी के बाद प्रधानमंत्री ने राहुल पर हमला करते हुये कहा- ‘कांग्रेस के शहजादा कहते हैं कि इसकी जांच कराई जाएगी कि कौन कितना कमाता है, आपके पास कितनी संपत्ति है, आपके पास कितनी संपत्ति है, आपके पास कितना पैसा है, आपके पास कितने घर हैं. सरकार आपकी इस संपत्ति पर कब्ज़ा करेगी और इसे सभी को वितरित करेगी. हमारी माताओं और और बहनों के पास सोना है, यह स्त्री धन है, इसे पवित्र माना जाता है, कानून भी इसकी रक्षा करता है. उनकी नज़र आपके मंगलसूत्र पर है.

यह आने वाले समय में वापस से इंडिया में अमेरिका की तरह लागू होगा या नहीं यह अलग विषय है, लेकिन इतिहास के पन्ने को जब पलटते हैं तो पता चलता है कि भारत में भी पहले इनहेरिटेंस टैक्स वसूला जाता था. इसे हटाने के पीछे एक बेहद दिलचस्प कहानी है. पहले यह जान लेते हैं कि इनहेरिटेंस टैक्स होता क्या है?

पहले भारत में भी वसूला जाता था इनहेरिटेंस टैक्स
इतिहास के पन्नों में इनहेरिटेंस टैक्स का जिक्र राजीव गांधी के सरकार में मिलता है. दरअसल तब एक ऐसा वाकया हुआ कि तब के तत्कालिन वित्त मंत्री वीपी सिंह ने उसे समाप्त कर दिया.

तब यह कहा गया कि सरकार इनहेरिटेंस टैक्स के चलते काफी सारे मुकदमें में फंस गई थी, सरकार के तरफ से दूसरी दलील ये दी गई थी कि जिस उद्देश्य से इस टैक्स को लागू किया गया था. वह पूरा नहीं हो पाया. सरकार का ये कहना था कि उस टैक्स से हुई कमाई उसके प्रशासन में किए गए खर्च से कम थी. इसलिए उस टैक्स का कोई मतलब नहीं था. यही वजह थी कि 1985 में हटा दिया गया. तब इनहेरिटेंस टैक्स के तौर पर 85 प्रतिशत का टैक्स वसूला जाता था.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
देश के बड़े टैक्स एक्सपर्ट्स के अनुसार ‘इनहेरिटेंस टैक्स’ नहीं होना चाहिए. इसलिए भारत में इसे हटाया गया, क्योकिं जिस उद्देश्य से इसे लाया गया था वो पूरा नहीं हो सका. राजीव गांधी सरकार को इसे इसलिए खत्म करना पड़ा कि इसमें खर्च ज्यादा था और कलेक्शन कम था।

भारत जैसे देश में साल 1991 से पहले सोशिलिज्म था, टैक्स की चोरी ज्यादा होती है. इंदिरा गांधी सरकार की बात करें तो उस समय आम जनता को 100 रुपए की कमाई पर 97 रुपए टैक्स ही चुकाना होता है. किसी भी देश की तरक्की में टैक्स का बड़ा योगदान होता है. इनहेरिटेंस टैक्स राजीव गांधी की सरकार को इसलिए भी खत्म करना पड़ा कि सरकार खुद इसे लेकर कई तरह के मुकदमें में फंस गई. टैक्स से होने वाले आय उसके प्रशासन की लागत से काफी कम थी.

क्या होता है इनहेरिटेंस टैक्स
अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है. अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो केवल 45 प्रतिशत ही उसके बच्चों को दी जाती है जबकि 55 प्रतिशत सरकार रख लेती है. विरासत टैक्स एक तरह से संपत्ति पर एक टैक्स है, जिसमें किसी मृत व्यक्ति से पैसा या घर किसी को विरासत में मिला है तो जिस व्यक्ति को संपत्ति विरासत में मिलती है, वह टैक्स का भुगतान करता है. टैक्स की दरें विरासत में मिली संपत्ति और मृतक के साथ उत्तराधिकारी के रिश्ते के पर अलग-अलग होती है।

नियम के मुताबिक, अमेरिका में सिर्फ छह राज्यों में विरासत टैक्स लगाया जाता है और आयोवा ने टैक्स रेट कम करके 5 प्रतिशत करने को कहा है. रिपोर्ट कहती है कि 2025 में इसको खत्म करने की घोषणा की गई है. टैक्स की दरें राज्य के आधार पर अलग-अलग होती हैं, लेकिन 1 प्रतिशत से कम से लेकर 20 प्रतिशत तक भी होती हैं और आमतौर पर छूट सीमा से ऊपर की राशि पर लागू होती हैं. टैक्स दरें आपकी विरासत के आकार, राज्य टैक्स कानूनों और मृतक के साथ आपके संबंधों पर निर्भर करती हैं।

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