म्यांमार और बांग्लादेश सीमा पर कुछ बड़ा होना वाला है?

US एयरफोर्स ने ढाका में डाला डेरा

ढाका (बांग्लादेश) : दक्षिण एशिया में एक नई रणनीतिक गतिविधि ने भू-राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में अमेरिका की वायुसेना (USAF) के अधिकारियों की एक विशेष टीम के पहुंचने के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि म्यांमार-बांग्लादेश सीमा पर कोई बड़ा सैन्य घटनाक्रम हो सकता है।

इस टीम की ढाका में मौजूदगी कथित तौर पर एक विशाल और संभावित रूप से खतरनाक सैन्य कार्गो की निगरानी और लॉजिस्टिक्स व्यवस्था से जुड़ी है। सूत्रों के अनुसार, यह कार्गो म्यांमार के भीतर किसी ठिकाने पर भेजा जा सकता है और माना जा रहा है कि यह अमेरिका की ओर से म्यांमार में सैन्य जुंटा के विरोधी गुटों को गुप्त समर्थन देने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है।

USAF के इस चार सदस्यीय दल ने 8 मई को कतर एयरवेज की उड़ान OR-641 से ढाका के शाह जलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कदम रखा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस टीम के सभी सदस्य अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) से जुड़े हो सकते हैं जो अमेरिकी रक्षा रणनीति का खुफिया संचालन संभालती है।इस टीम में शामिल निम्न अधिकारी ढाका के हाई-प्रोफाइल गुलशन इलाके में स्थित वेस्टिन होटल में ठहरे हुए हैं।

भारी सैन्य कार्गो को लेकर आशंका
खुफिया सूत्रों के अनुसार, ढाका में आने वाला यह विशाल कार्गो सैन्य साजो-सामान से लैस हो सकता है, जिसे म्यांमार की सीमा के पास स्थानांतरित किया जाना है। इससे पहले भी ऐसी रिपोर्टें सामने आई थीं कि अमेरिका बांग्लादेश के ज़रिए म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक और जातीय विद्रोही गुटों को गुप्त रूप से सहायता भेज रहा है। हालांकि, इस बारे में अमेरिका या बांग्लादेश की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन दोनों देशों की सैन्य और खुफिया एजेंसियां इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय रखे हुए हैं।

म्यांमार की सैन्य सरकार के लिए खतरे की घंटी
म्यांमार की सेना, जो फरवरी 2021 के तख्तापलट के बाद से देश पर शासन कर रही है, पहले ही घरेलू विद्रोह और अंतरराष्ट्रीय दबाव से जूझ रही है। अब अमेरिका की इस संदिग्ध गतिविधि को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि यह म्यांमार की सैन्य सत्ता को कमजोर करने की योजना का हिस्सा हो सकता है।

विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिका वास्तव में म्यांमार के विद्रोही गुटों को हथियार पहुंचा रहा है, तो यह न सिर्फ दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन को बदल सकता है, बल्कि चीन जैसे क्षेत्रीय खिलाड़ियों की चिंताओं को भी बढ़ा सकता है।

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