कश्मीरी महिला कार्यकर्ता तस्लीमा अख्तर ने पाकिस्तान को आईना दिखाया

कहा- कि कश्मीर के बारे में हमेशा झूठे और निराधार दावे किये गये

नई दिल्ली। कश्मीरी महिला कार्यकर्ता तस्लीमा अख्तर ने पाकिस्तान का कश्मीर पर दुर्भावनापूर्ण प्रचार का भंडाफोड़ किया। कश्मीर में प्रायोजित आतंकवाद को उजागर किया और पाकिस्तान को आईना दिखाया। तस्लीमा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में हमने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार हुए अपने निर्दोष लोगों के लिए न्याय की मांग की है।

हमने जम्मू-कश्मीर में चल रहे विकास पर भी चर्चा की। कश्मीर के विकास पर पूरी दुनिया की नजर है। तस्लीमा अख्तर ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के 55वें सत्र में भाग लिया था।

कश्मीर में अब शांति और विकास की बयार
शांति और विकास के नए युग की चर्चा करते हुए तस्लीमा ने जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर्यटन का केंद्र बन गया है। कश्मीर दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। कश्मीरी महिलाएं आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। अब युवाओं की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलता है।

कुछ लोगों का अपना एजेंडा सेट है
तस्लीमा अख्तर ने कहा कि कश्मीर के बारे में बार-बार झूठे दावे और निराधार बातें की गईं। तस्लीमा ने पाकिस्तानी एजेंटों को बेनकाब करते हुए कहा कि यह लोग अक्सर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीरी निवासियों के रूप में सामने आते हैं। ब्रिटेन, फ्रांस और इटली जैसे देशों में रहने वाले कुछ लोगों का अपना एजेंडा है। उन्हें कश्मीर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अगर उन्होंने विदेशी नागरिकता हासिल कर ली है, तो वह कश्मीर के बारे में कैसे बोल सकते हैं?

घाटी में पथराव और दंगों का अंत
तस्लीमा अख्तर ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर में देखे गए परिवर्तन की भी सराहना की। तस्लीमा ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान प्रायोजित पथराव बंद हो गया है। हमने घाटी में पाकिस्तान समर्थित संगठनों द्वारा किए गए दंगों और हिंसा का अंत देखा है।

गुलाम कश्मीर में लोग मजबूरी में
जम्मू-कश्मीर और गुलाम कश्मीर वाले क्षेत्रों की स्थितियों की तुलना करते हुए तस्लीमा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और गुलाम कश्मीर में एक बड़ा अंतर है। एक तरफ हम जम्मू कश्मीर में राजमार्गों, सड़कों और स्टेशनों का निर्माण देख रहे हैं। जबकि गुलाम कश्मीर में लोग अपने पैसों से सड़कें बनाने के लिए मजबूर हैं।

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