बिहार में आकाशीय बिजली का कहर-12 लोगों ने गंवाई जान

आश्रितों के लिए आर्थिक मदद - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

पटना : बिहार के 6 जिलों में पिछले 24 घंटों के दौरान हुई वज्रपात (आकाशीय बिजली गिरने) की घटनाओं में कुल 12 लोगों की मौत हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान देने का निर्देश दिया है। वज्रपात से सर्वाधिक मौतें बक्सर जिले में हुई हैं।

सीएम नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना में लोगों की मृत्यु अत्यंत दुःखद। मृतकों के परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना है। इस घटना में बिहार के रहने वाले मृतकों के आश्रितों को 02 लाख रुपये अनुग्रह अनुदान एवं घायलों को 50 हजार रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष से देने का निर्देश दिया है। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना है।’

बता दें कि इस साल अप्रैल में बिहार के विभिन्न जिलों में आकाशीय बिजली गिरने और वज्रपात से जुड़ी घटनाओं में 90 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। बिजली गिरने और वज्रपात से फसलों और घरों को भी भारी नुकसान पहुंचा था। अप्रैल में सबसे ज्यादा 23 लोगों की मौत नालंदा जिले में हुई थी।

आकाशीय बिजली क्यों गिरती है?
आकाशीय बिजली (वज्रपात) तब आती है, जब बादलों में बिजली जमा हो जाती है और फिर अचानक जमीन पर गिरती है।

आकाशीय बिजली कैसे बनती है?
जब गर्म हवा ऊपर उठती है, तो वह ठंडी होकर पानी की बूंदों और बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल जाती है। इन्हीं से बादल बनते हैं। बादलों के अंदर हवा बहुत तेज चलती है। इस तेज हवा से पानी की बूंदें और बर्फ के टुकड़े आपस में टकराते हैं। इस टकराव से उनमें बिजली का चार्ज (आवेश) जमा हो जाता है, ठीक वैसे ही जैसे सर्दियों में ऊनी कपड़े पहनने पर कभी-कभी हल्का झटका लगता है।

इस टकराव से बादल का ऊपरी हिस्सा पॉजिटिव चार्ज वाला हो जाता है और निचला हिस्सा नेगेटिव चार्ज वाला बन जाता है। जमीन में भी आमतौर पर पॉजिटिव चार्ज होता है। जब बादलों में बहुत ज्यादा नेगेटिव चार्ज जमा हो जाता है और जमीन का पॉजिटिव चार्ज उसे अपनी ओर खींचने लगता है, तो बादल इस चार्ज को छोड़ना चाहते हैं, ताकि संतुलन बन सके। यह चार्ज हवा के रास्ते तेजी से जमीन की ओर आता है, जिससे हमें एक बहुत तेज चमक दिखाई देती है, जिसे हम आकाशीय बिजली कहते हैं। यही बिजली जब जमीन पर गिरती है, तो उसे वज्रपात कहते हैं।

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