स्लीपिंग डिस्ऑर्डर से हो रहे उत्तराखंड में सड़क हादसे?
AIIMS की रिसर्च का दावा- 21% दुर्घटनाएं नींद आने या नींद से संबंधित समस्या के कारण

देहरादून : उत्तराखंड में सड़क हादसों का एक बड़ा कारण नींद और नींद से संबंधित बीमारियां हैं। ऋषिकेश एम्स के मनोरोग विभाग के शोध में यह बात सामने आई है। अक्टूबर 2021 से अप्रैल 2022 तक 1200 लोगों पर किए गए अध्ययन में पता चला कि 21% दुर्घटनाएं नींद आने या नींद से संबंधित समस्या के कारण हुईं।
बड़ी बात यह समस्या लंबी दूरी के बड़े वाहनों के साथ-साथ शहर के अंदरूनी मार्गों पर चलने वाले छोटे वाहनों को भी प्रभावित कर रही है। नशे को दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण माना जाता रहा है, लेकिन इस शोध ने नींद को भी एक महत्वपूर्ण कारक बताया है।
ऋषिकेश एम्स के मनोरोग विभाग के निद्रा प्रभाग के चिकित्सकों के शोध में यह बात सामने आई है। अक्सर उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण नशे को माना जाता है। एम्स के मनोरोग विभाग के चिकित्सकों के एक शोध ने स्पष्ट किया है कि नींद व नींद से संबंधित समस्या उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह बन रही है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 32% दुर्घटनाओं का कारण नशा था, लेकिन इनमें से कई चालक नींद की समस्या से भी पीड़ित थे, जिससे नशा करने पर उनकी समस्या और बढ़ गई। डॉक्टरों ने अक्टूबर 2021 से अप्रैल 2022 तक करीब 1200 लोगों पर शोध किया।
ये सभी लोग विभिन्न क्षेत्रों में वाहन दुर्घटना में घायल हुए थे, जो इलाज के लिए एम्स में भर्ती थे। इनमें से 575 घायल वाहन चालक थे। इन वाहन चालकों में 75 फीसदी संख्या दोपहिया व तिपहिया वाहन चालकों की थी।
शोध निर्देशक प्रो. रविगुप्ता व डॉ. विशाल धीमान ने बताया कि 21 फीसदी दुर्घटनाएं वाहन चलाते समय नींद आना या नींद से संबंधित समस्या के चलते हुई। वहीं अत्यधिक काम के चलते थकान से आने वाली नींद भी 26 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण बनी।
32 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण नशा था, लेकिन इनमें अधिकांश वो चालक भी शामिल थे जो नींद व नींद से संबंधित समस्या से भी ग्रसित थे और नशा करने से उनकी यह समस्या और अधिक बढ़ गई और दुर्घटना का कारण बनी।
शोध में स्पष्ट हुआ कि नींद की समस्या के चलते होने वाली करीब 68 फीसदी दुर्घटनाएं सीधी सपाट व रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली सड़कों पर हुई हैं। अधिकांश दुर्घटनाएं शाम छह बजे से रात 12 बजे के बीच हुई हैं।
क्योंकि कुछ लोग शाम को शराब का सेवन भी कर लेते हैं और ऐसे में नींद से संबंधित समस्या और अधिक बढ़ जाती है। शोध के अनुसार, 68% दुर्घटनाएं सीधी सड़कों पर हुईं, और अधिकांश दुर्घटनाएं शाम 6 बजे से रात 12 बजे के बीच हुईं, क्योंकि इस दौरान कुछ लोग शराब का सेवन करते हैं, जिससे नींद की समस्या और बढ़ जाती है।
प्रशासन नशे के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाता है। अभियान के तहत एल्कोमीटर से वाहन चालकों की जांच भी की जाती है। यह शोध अमेरिका के क्यूरियस मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।