सीएम धामी ने कारगिल विजय दिवस पर की कई घोषणाएं
नौकरी के लिए पूर्व सैनिकों को भेजा जाएगा विदेश, देहरादून के गांधी पार्क में शहीद स्मारक!

देहरादून : कारगिल विजय दिवस के अवसर पर देशभर में शहीदों की याद में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसी क्रम में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित गांधी पार्क के शहीद स्मारक में शहीदों को श्रद्धांजलि और वीरांगनाओं के सम्मान में समारोह का आयोजन किया गया. आयोजित कार्यक्रम में सीएम धामी ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी वीरांगनाओं को सम्मानित किया. कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. इस कार्यक्रम के दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी समेत कारगिल युद्ध में जंग लड़ चुके तमाम जवान भी शामिल हुए.
कारगिल युद्ध में देश के 527 जवानों के अपनी शहादत दी थी. साथ ही 1363 जवान घायल हो गए थे. दरअसल, 5 मई 1999 को पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के 5 जवानों को शहीद कर दिया था. जिसके बाद 10 मई 1999 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की थी. भारत और पाकिस्तान के बीच करीब दो महीने कारगिल युद्ध चला था. 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध पर पूर्ण विराम लग गया था. जिसके चलते भारतीय सेना के वीरता और बलिदान के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.
75 जवानों ने दी थी शहादत: साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवान शहीद हुए थे. शहीद होने वाले जवानों में देहरादून के 25, टिहरी के 12, चमोली के 5, नैनीताल के 6, पिथौरागढ़ के 4, अल्मोड़ा के 3, पौड़ी गढ़वाल से 13, बागेश्वर के 2, रुद्रप्रयाग के 3 और उधम सिंह नगर के 2 शहीद हुआ था. उत्तराखंड के 2 जवानों को महावीर चक्र, 9 जवानों को वीर चक्र, 15 जवानों को सेना मेडल और 11 जवानों को मेंशन इन डिस्पैच से सम्मानित किया गया था.
कारगिल विजय दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद जवानों को नमन करते हुए कहा कि वीर जवानों ने जिन उद्देश्यों के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया, उन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए काम करते रहेंगे. जवानों के परिवारों के लिए, पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए और उनके परिजनों के कल्याण के लिए अनेक काम किए जा रहे है.
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से तमाम निर्णय लिए जा रहे हैं. उत्तराखंड एक सैनिक बाहुल्य राज्य है. ऐसे में सैनिकों के उत्थान के लिए काम करना सरकार का कर्तव्य है. ऐसे में चमोली में ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक और सैनिक विश्राम गृह बनाए जाने के साथ ही नैनीताल में सैनिक विश्राम गृह बनाए जाने की घोषणा की गई है.