मध्य प्रदेश के अशोकनगर एक मिथक तोड़ने पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ

भोपाल: मध्य प्रदेश के अशोकनगर को लेकर यह मिथक है कि जो भी मुख्यमंत्री यहां पर जाते हैं वह अपना पद खो देते हैं. यही वजह है कि कई मुख्यमंत्री यहां जाने से बचते हैं, लेकिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर आम चुनावों में प्रचार करने शनिवार को अशोकनगर पहुंचे. यूपी के सीएम आदित्यनाथ के दौरे के बाद मिथक को लेकर सियासी अटकलों का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है.
अशोक नगर के मिथक को कई राजनेता सही मानते हैं तो कई महज इत्तेफाक, लेकिन अगर आंकड़ों की मानें तो अब तक मध्य प्रदेश के 8 नेता ऐसे हैं जो सीएम रहते अशोकनगर शहर आए और कुछ समय बाद या अगले चुनाव में मुख्यमंत्री नहीं बन सके. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिले में तो कई बार आए, लेकिन अशोकनगर शहर नहीं गए.
साढ़े पांच महीने में दूसरा दौरा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसे किसी मिथक को नहीं मानते हैं. यही वजह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ साढ़े पांच माह में दूसरी बार अशोकनगर आ रहे हैं. अशोकनगर के सुभाषगंज में योगी आदित्यनाथ की सभा का आयोजन किया गया है. हालांकि, उनके कुछ समर्थकों ने यहां जनसभा आयोजित करने पर ऐतराज जताया था. उनका कहना है कि जब यहां प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं आते, तो यूपी के सीएम को बुलाकर उनकी कुर्सी क्यों खतरे में डाली जा रही है.
अब तक इन मुख्यमंत्रियों की गई कुर्सी
राजनीति में रूचि रखने वाले अशोकनगर के बुजुर्गों के अनुसार साल 1975 में तत्कालीन सीएम प्रकाश चंद सेठी कांग्रेस के राज्य अधिवेशन में शामिल होने आए थे, जो बाद सीएम पद से हट गए थे. 1977 में सीएम श्यामाचरण शुक्ल तुलसी सरोवर का लोकार्पण करने आए थे. इसके बाद वीरेन्द्र सखलेवा, कैलाश जोशी आए. वहीं 1983 में सीएम अर्जुन सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राजीव गांधी के साथ आए थे.
1986 में सीएम मोतीलाल बोरा रेलवे स्टेशन पर ओवरब्रिज का भूमिपूजन करने आए. साल 1992 में सीएम सुंदरलाल पटवा और 2003 में सीएम दिग्विजय सिंह यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए थे. कहा जाता है कि यहां से जाने के कुछ समय बाद ही ये सभी मुख्यमंत्रियों ने अपनी कुर्सी खो दी थी. इसलिए पिछले 20 सालों में प्रदेश के सीएम अशोकनगर नहीं आए.