जहां गरजती थीं गोलियां

जम्मू-कश्मीर : जम्मू-कश्मीर में एक दौर वो भी था, जब चुनाव कराने में पसीने छूट जाते थे. बंदूक की गोलियां और बारूद की बू फिजाओं में महकती थी. लेकिन इस बार फिजा बदली-बदली है. बारामूला में वोटर्स ने इतिहास रच दिया है. यहां 59% वोटिंग हुई. क्षेत्र के इतिहास में यह मतदान अब तक का सबसे ज्यादा है. पूर्व आतंकवादियों, आतंकवादियों के परिवारों और जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों ने शांति और बेहतर भविष्य के लिए मतदान में हिस्सा लिया.

आतंकियों के परिवारों ने भी डाला वोट

सक्रिय आतंकवादी उमर के भाई रौफ अहमद ने अलगाववादियों के गढ़ उस्सू गांव से मतदान किया. पिछले पांच चुनावों में इस क्षेत्र में 2-3% से अधिक मतदान नहीं हुआ है लेकिन सोमवार को यहां काफी मतदान हुआ. अपने भाई और क्षेत्र के लोगों से निवेदन करते हुए रौफ ने हिंसा को खत्म करने और शांति और प्रगति के रास्ते पर लौटने का आग्रह किया. सिर्फ रौफ और उसके परिवार ने ही नहीं बल्कि पूर्व आतंकवादी जावेद अहमद भट और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी संगठन के पूर्व महासचिव ने भी बेहतर और सुंदर भविष्य की उम्मीद के साथ मतदान किया.
रौफ अहमद ने अपने भाई से घर वापस आने और हिंसा का त्याग करने की अपील भी की. ​​कभी अशांति के लिए कुख्यात पट्टन क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के बारे में बताते हुए रौफ ने लोगों से वोट डालने की अपील की.

रऊफ ने बातचीत करते हुए कहा, ‘मैंने सुबह अपनी मर्जी से वोट डाला. मैं अपनी मां और भाइयों को साथ आया था. आज लोग बड़ी संख्या में मतदान कर रहे हैं. वोटिंग ही हमारे अधिकारों को पाने का एकमात्र तरीका है. मेरा भाई पिछले छह सालों से लश्कर का सक्रिय आतंकी है. मैं उससे घर लौटने की अपील करता हूं. हमारी मां बीमार है और उमर के लिए रोती रहती है. मेरे पिता की मौत के समय मेरे भाई ने फोन तक नहीं किया. मैं उससे घर लौटने की अपील करता हूं.”

आतंकी से बीजेपी कार्यकर्ता बने जावेद की कहानी

बदलाव की कहानी को आगे बढ़ाते हुए पूर्व आतंकी से भाजपा कार्यकर्ता बने जावेद अहमद भट ने अपने मुश्किल अतीत से उम्मीद भरे भविष्य की यात्रा साझा की. जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए अपना वोट देते हुए जावेद ने क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के लिए 2019 के बाद केंद्र सरकार की पहल को श्रेय दिया.

जावेद ने कहा, ‘मैंने जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए वोट दिया, पहले जम्मू-कश्मीर में हालात अच्छे नहीं थे, लेकिन 2019 के बाद जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अपने नियंत्रण में लिया तो हर पहलू में स्थिति में सुधार होने लगा है.’

उन्होंने कहा कि आतंकवादी के रूप में मेरा अतीत एक दुःस्वप्न है और अपनी गलती का एहसास होने के बाद मैंने उस पागलपन को छोड़ दिया और मुख्यधारा में भाजपा में शामिल हो गया.

गुलाम कादिर लोन ने भी डाला वोट

इस बीच जमात-ए-इस्लामी जिसे कभी हिजबुल-मुजाहिदीन का पैतृक संगठन माना जाता था, अपनी भारत विरोधी विचारधारा के कारण यूएपीए के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था. अब उसने भी अपना रुख बदल लिया है और प्रतिबंध हटने पर चुनाव में भाग लेना चाहता है. आज जमात के पूर्व महासचिव गुलाम कादिर लोन ने भी सोपोर कस्बे में इस उम्मीद के साथ अपना वोट डाला कि प्रतिबंध हटने के बाद वे चुनावी प्रक्रिया में भाग लेंगे.

लोन ने कहा, ‘हम 1969 से मतदान करते आ रहे हैं, लेकिन जब मुस्लिम मुताहिदा महाज का गठन हुआ, तो चुनावों में धांधली हुई और हमारा मतदान करने में विश्वास खत्म हो गया. लेकिन अब ऐसा लगता है कि भारत सरकार समझ गई है कि चुनावों में धांधली के कारण कश्मीर में स्थिति खराब हुई है और ऐसा लगता है कि अब भविष्य में ऐसा नहीं होगा. अगर प्रतिबंध हटता है, तो न केवल मैं बल्कि पूरी पार्टी चुनावों में भाग लेगी.’

मुख्य निर्वाचन अधिकारी पांडुरंग कोंडबाराव पोल ने कहा कि बारामूला में 59 परसेंट वोटिंग हुई. इस दौरान कोई हिंसा नहीं हुई. बारामुल्ला के लोगों ने आज संसदीय सीट के लिए अब तक का सबसे अधिक मतदान प्रतिशत दर्ज करके इतिहास रच दिया है और चुनाव का दिन हिंसा से मुक्त रहा.

बारामूला में वोटिंग सेंटर्स पर दिखी भीड़

बारामूला में आज एसा लगा था कि कोई उत्सव है. विभिन्न पृष्ठभूमि से आए मतदाताओं की भारी भीड़ हर मतदान केंद्र पर देखी गई, जो प्रगति और स्थिरता की तलाश में एकजुट थे. युवा, पुरुष और महिला मतदाता मतदान केंद्रों पर एकत्रित हुए, जो विकास, रोजगार और शांति की आकांक्षाओं से भरे थे.

शमीम अहमद शादीपोरा मतदान केंद्र पर मतदान करने आए. उन्होंने कहा, ‘हमने बेहतर भविष्य और विकास के लिए मतदान किया है. हमारा मानना ​​है कि वोट एक आम आदमी की शक्ति है और यह जमीनी स्तर पर बदलाव ला सकती है. हम भी बदलाव चाहते हैं. संसद में बेहतर आवाज चाहते हैं जो हमें बेहतर जीवन प्रदान कर सके.

कश्मीर में पांचवें चरण का मतदान लोकतांत्रिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें सुचारू और घटना-मुक्त मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपाय किए गए थे. प्रमुख उम्मीदवारों के बीच रोमांचक चुनावी मुकाबले दिख रहा है. बारामूला निर्वाचन क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मंत्री सज्जाद गनी लोन तथा तिहाड़ जेल से चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक इंजीनियर राशिद के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. उमर और सजद दोनू ने अपनी पानी जीत की उम्मीद जताते हुए भारी मतदान की सराहना की.

उमर अब्दुल्ला ने भी की तारीफ

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह अच्छी बात है कि युवा अपने प्रतिनिधियों के लिए वोट डालने के लिए घर से बाहर आ रहे हैं. मैं अब तक बहुत सारे पोलिंग स्टेशन पर गया. बाकी जगहों से भी रिपोर्ट अच्छी मिल रही है. भारी मतदान हो रहा है यह अच्छी बात है और नेकां के लिए वोट पड़ रहे हैं. लोग ज़्यादा से ज़्यादा वोट डालें यह राजनेता के लिए अच्छी बात होती है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि कई जिला अध्यक्षों, जमात इस्लामिया के वरिष्ठ सदस्यों ने लंबे समय के बाद अपने वोट डाले. उमर अब्दुल्ला ने कहा, मैं चुनाव आयोग से जम्मू-कश्मीर में जमात इस्लामिया पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध करता हूं, ताकि वे आगामी विधानसभा चुनावों में भाग ले सकें.

वही सज्जाद गनी लोन ने कहा, ‘हमने अपना काम कर दिया है. बता दिया है लोगों को कि हम चुनाव क्यों लड़ रहे हैं और अब लोगों की बारी है कि वे क्या फैसला करना चाहते हैं. लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि जीत हमारी होगी.’

पांचवें फेज के मतदान में कश्मीर घाटी के चार जिले शामिल थे, जिनमें बारामूला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा और बडगाम के कुछ हिस्से शामिल थे, जिसमें कुपवाड़ा और बारामूला जिलों में नियंत्रण रेखा के साथ के इलाके भी शामिल थे.

हलचल भरे चुनावी परिदृश्य के बीच, 22 उम्मीदवार जीत के लिए संघर्ष कर रहे थे, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन और अवामी इत्तिहाद पार्टी के इंजीनियर रसीद के बीच रोमांचक मुकाबला है. जेल में बंद होने के बावजूद इंजीनियर रशीद की मौजूदगी ने चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय आयाम दे दिया, जिससे राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ गई.

 

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