बदले में बोर्ड ने जो सजा दी

पुणे: गर्मी हो तो धूप में कार भट्ठी बन जाती है और अगर ड्राइवर नशे में हो तो कार यमराज बन जाती है. ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इस वीडियो में आवाज की रफ्तार से भी ज्यादा तेजी से एक कार सड़क से गुजरती है और फिर भीड़ एक तरफ भागती है क्योंकि दो सौ किलोमीटर प्रतिघंटा से भी तेज रफ्तार से गुजरी पोर्शे कार ने एक मोटर साइकिल को टक्कर मार दी थी. जिसमें एक लड़की और लड़के ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. ये हादसा 18 मई की रात पुणे में हुआ.

शराब के नशे में 2 लोगों को कार से उड़ाया

दुर्घटना के बाद लोगों ने पोर्शे कार को रुकवा लिया और कार में सवार दो लड़कों को पकड़ लिया. उनमें से एक लड़का भाग गया, जबकि दूसरे को लोगों ने पीट दिया. लोगों का कहना था कि घटना के वक्त कार की स्पीड 200 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. मेडिकल रिपोर्ट में पता चला कि कार चलाने वाले नाबालिग लड़के ने शराब पी हुई थी. अब आप अंदाजा लगाइये कि 200 की रफ्तार से शराब के नशे में कार चलाते हुए दो लोगों की जान ले लेने वाले उस नाबालिग के साथ क्या हुआ होगा?

आपको जानकर हैरानी होगी कि Juvenile Justice Board ने नाबालिग आरोपी को बच्चा मानते हुए जमानत पर छोड़ दिया. बेल ऑर्डर में इसकी जो वजह बताई है. वो जानकर भी आपको थोड़ा अजीब लग सकती है. बेल ऑर्डर में लिखा है कि नाबालिग आरोपी के दादा ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वो अपने पोते को गलत संगत से दूर रखेंगे और नाबालिग आरोपी आइंदा अपनी पढ़ाई पर Concentrate करेगा. इसलिए नाबालिग आरोपी को जमानत पर छोड़ा जाता है.

निबंध लिखने की शर्त पर बोर्ड ने दे दी जमानत

अब आपको बताते हैं कि Juvenile Justice Board ने नाबालिग आरोपी को किस शर्त पर जमानत दी है. बेल ऑर्डर के मुताबिक 17 साल का नाबालिग आरोपी सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखेगा. 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ रहकर ट्रैफिक नियम सीखेगा और अपनी शराब पीने की आदत का इलाज करवाएगा.

आपको हैरानी हो रही है. आप सोच रहे होंगे कि ये तो हमारे देश का सिस्टम है, जो शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले 17 साल के नाबालिग को भी दूध पीता बच्चा मानता है. सवाल ये है कि शराब पीकर कार चलाने वाला नाबालिग आरोपी नहीं जानता था कि बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ी चलाना कानूनन अपराध है? सवाल ये है कि क्या नाबालिग आरोपी नहीं जानता था कि दो सौ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से कार चलाने से हादसा हो सकता है. सवाल ये है कि शराब के नशे में अपनी कार से दो लोगों को मारने के बाद दुर्घटनाओं पर निबंध लिखकर नाबालिग आरोपी सुधर जाएगा?

पुलिस ने पिता के खिलाफ कार्रवाई का लिया फैसला

खुद पुणे पुलिस इस हादसे के जिम्मेदार नाबालिग आरोपी को वयस्कों की तरह Treat करना चाहती है और उसने नाबालिग आरोपी की रिमांड की मांग की थी. लेकिन हमारे देश का सिस्टम इसकी इजाजत नहीं देता. फिर भले ही 17 साल का नाबालिग शराब पीकर गाड़ी चलाता हो या अपनी गाड़ी से दो लोगों की जान ले चुका हो.

हमारे देश का सिस्टम ही ऐसा है, जिसमें अगर गंभीर से गंभीर अपराध के आरोपी की उम्र 18 वर्ष से एक दिन भी कम हो तो उसे बच्चा मान लिया जाता है. लेकिन पुणे पुलिस ने भी तय कर लिया है कि वो नाबालिग आरोपी के पिता पर FIR करेगी. जिन्होंने अपने नाबालिग बेटे को सिर्फ अपनी कार की चाभी नहीं दी बल्कि सड़क पर लोगों की जान को खतरे में डालने का लाइसेंस भी दिया था.

सीसीटीवी में बार में शराब पीते दिखा नाबालिग

पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा, ‘रविवार को ही हमने अदालत (बोर्ड) के समक्ष आवेदन देकर किशोर के खिलाफ व्यस्क की तरह मामला चलाने की अनुमति मांगी और अपराध जघन्य होने की वजह से सुधार गृह भेजने का अनुरोध किया लेकिन हमारी अर्जी अस्वीकार कर दी गई. हम अब अपनी अर्जी सत्र अदालत के समक्ष रखेंगे.’

उन्होंने कहा कि किशोर के खून के नमूनों की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है लेकिन शुरुआती जांच के मुताबिक उसने घटना के समय शराब पी रखी थी. पुलिस आयुक्त कुमार ने कहा, ‘बार में लगे सीसीटीवी से मिली तस्वीर में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि किशोर शराब पी रहा है. इस पर कोई संदेह नहीं है कि किशोर शराब पीने के बाद कार चला रहा था. हम इन तथ्यों को अदालत में रखेंगे.’

एसीपी स्तर के अधिकारी को सौंपी गई जांच

उन्होंने कहा, ‘हमने उसके पिता के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 77 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. हमने बार के मालिक के खिलाफ भी तय उम्र से कम उम्र के व्यक्ति को शराब परोसने का मामला दर्ज किया है. हमने मामले को अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया है.’ कुमार ने कहा, ‘मामले को एसीपी स्तर के अधिकारी को सौंपा गया है और हमारी कोशिश मुकदमे को पुख्ता बनाने की है. हम इस मामले में विशेष अधिवक्ता नियुक्त करेंगे.’

 

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