सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की रेस में जियो और स्टारलिंक से आगे निकली एयरटेल!
ट्रायल के लिए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम मिला

नई दिल्लीः भारती एयरटेल के निवेश वाली कंपनी म्नजमसेंज व्दमॅमइ भारत में सैटेलाइट से ब्रॉडबैंड सर्विसेज देने की रेस में अभी सबसे आगे चल रही है। फिलहाल इस रेस में मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो और एलन मस्क की स्टारलिंक पिछड़ती हुई नजर आ रही है।
म्नजमसेंज व्दमॅमइ के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि कंपनी को मामूली आवेदन शुल्क पर 90 दिनों की अवधि के लिए ‘का’ और ‘कू’ दोनों बैंड में डेमो या ‘ट्रायल’ के लिए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम प्राप्त हुआ है। स्टारलिंक सीधे रिटेल यूजर्स को सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं देगी जबकि यूटेलसैट वनवेब पूरी तरह से 2ठ मॉडल पर काम करेगा। शुरुआत में यह कंपनी कंपनियों और सरकारों को सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा देगी।
‘का’ बैंड सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (27.5 से 29.1 गीगाहर्ट्ज और 29.5 से 30 गीगाहर्ट्ज बैंड रेंज में) यूटेलसैट वनवेब के अर्थ स्टेशनों के संचालन के लिए आवश्यक है, जबकि ‘कू’ बैंड (14 गीगाहर्ट्ज) में एयरवेव यूजर एक्सेस टर्मिनल को सपोर्ट करेगा।
कंपनी के एक सीनियर अधिकारी ने मीडिया को बताया, कि यूटेल सैट वनवेब ने अपने देश व्यापी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर उन्नत परीक्षण चलाने के लिए डेमो एयरवेव का उपयोग करना शुरू कर दिया है। अभी केवल रक्षा बलों और कुछ बड़ी सरकारी कंपनियों को ही यह सेवा दी जा रही है। जल्दी ही कमर्शियल लॉन्च किया जाएगा। कंपनी को उम्मीद है कि उसे इसी बैंड में कमर्शियल सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का अंतरिम आवंटन होगा।
कौन-कौन हैं रेस में
कंपनी ने दूरसंचार विभाग को बताया है कि वह सरकार द्वारा निर्धारित फाइनल चार्जिंग मैकेनिज्म का पालन करेगी। डीओटी अभी सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रहा है। यूटेलसैट के अलावा जियो, स्टारलिंक, ऐमजॉन और टाटा भी देश में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने की तैयारी में हैं।
IN-SPACE ने हाल ही में अनुमान लगाया था कि भारत की स्पेस इकॉनमी के 2033 तक 44 अरब डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है। हाल में कैबिनेट ने अंतरिक्ष क्षेत्र के FDI नियमों में संशोधन किया था। सैटेलाइट लॉन्च वीकल्स के लिए ऑटोमैटिक रूट के तहत 49 प्रतिशत तक थ्क्प् और सैटेलाइट क्षेत्र के कंपोनेंट्स और सब-सिस्टम्स के निर्माण के लिए ऑटोमैटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत तक FDI की अनुमति दी गई है।