भारत में CAA : पाकिस्तान ने उगला जहर, कानून को बताया मुस्लिम विरोधी

इस्लामाबाद: भारत ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के बाद भागकर आए हिंदू, पारसी, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई धर्म के लोगों को नागरिकता का फैसला किया है। इसके लिए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर दिया गया है। अब इस मुद्दे पर पाकिस्तान ने रिएक्शन दिया है। पाकिस्तान ने भारत और मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर जहर उगला। पाकिस्तान ने कहा कि यह कानून भेदभाव पूर्ण है जो मोदी सरकार के भयावह एजेंडे को और उजागर करता है। पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट जियो न्यूज ने इसे अपनी रिपोर्ट में मुस्लिमों के खिलाफ कदम बताया।
नागरिकता संधोधन अधिनियम (CAA) उन हिंदुओं, पारसियों, सिखों, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देता है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भाग कर भारत आए हैं। हालांकि पाकिस्तान ने बेशर्मी के साथ यह मानने से इनकार कर दिया कि मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होते हैं। उन्होंने कहा, ‘ये नियम और कानून इस गलत धारणा पर आधारित हैं कि क्षेत्र के मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है और भारत एक सुरक्षित जगह है।’
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भारत को ज्ञान दे रहा पाकिस्तान
पिछले साल पूरी दुनिया ने पाकिस्तान में रहने वाले ईसाइयों और चर्च पर हमले को देखा। इसके बावजूद पाकिस्तान अल्पसंख्यकों पर अत्याचार मानने की जगह भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। बलोच ने कहा, ‘बीजेपी सरकार के तहत हिंदुत्व की बढ़ती लहर के कारण मुस्लिमों और दलितों सहित अन्य धार्मिक और सामाजिक अल्पसंख्यकों का तेजी से राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उत्पीड़न हुआ है।’
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा, ‘हां, हमने भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत कुछ समाचारों में मुस्लिमों, अल्पसंख्यकों और आप्रवासियों को लेकर भारत में वर्तमान में चल रही ‘बदसूरत बहस’ पर रिपोर्ट देखी है।’ विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि कानून और प्रासंगिक नियम प्रकृति में भेदभावपूर्ण हैं, क्योंकि वे लोगों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेदभाव करते हैं।