शेखर हॉस्पिटल के मालिक डॉ. एके सचान के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश

ईडी का दावा- पुख्ता हैं साक्ष्य

लखनऊ: ईडी ने करीब पांच महीने की गोपनीय जांच के बाद डॉ. एके सचान द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और गैरकानूनी तरीके से करोड़ों रुपये का लेन-देन करने का पुख्ता प्रमाण मिलने पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट सीबीआई, चिकित्सा शिक्षा विभाग और केजीएमयू को भेजकर कार्रवाई करने को कहा है।

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में फार्माकोलॉजी विभाग के मुखिया एवं इंदिरानगर स्थित शेखर हॉस्पिटल के मालिक डॉ. आमोद कुमार सचान के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है। ईडी ने करीब पांच महीने की गोपनीय जांच के बाद डॉ. एके सचान द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और गैरकानूनी तरीके से करोड़ों रुपये का लेन-देन करने का पुख्ता प्रमाण मिलने पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट सीबीआई, चिकित्सा शिक्षा विभाग और केजीएमयू को भेजकर कार्रवाई करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक यदि सीबीआई केस दर्ज नहीं करती है तो ईडी प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करेगा।

सूत्रों के मुताबिक केजीएमयू में नौकरी करने के साथ ही डॉ. सचान इंदिरा नगर में शेखर हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी के जरिए शेखर हॉस्पिटल नामक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल संचालित करते हैं। कंपनी में उनकी पत्नी डॉ. ऋचा सचान और बेटा केके सचान निदेशक हैं। जबकि डॉ. सचान 1995 से 2019 तक निदेशक थे। उनके बाराबंकी के सफेदाबाद और सीतापुर रोड पर हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के नाम से मेडिकल कॉलेज भी हैं, जिसका संचालन हिंद चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए होता है।

इसमें डॉ. सचान और उनकी पत्नी ट्रस्टी हैं। वहीं मेसर्स बालाजी चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए वह नर्सिंग कॉलेज भी संचालित कर रहे हैं। वर्ष 2009 में उनके हास्पिटल की दो अल्ट्रासाउंड मशीन सीज होने पर मामला हाईकोर्ट में गया था, जिसके बाद अदालत ने डॉ. सचान को नोटिस जारी कर पूछा था कि वह सरकारी डॉक्टर रहते हुए निजी अस्पताल कैसे चला रहे हैं। अदालत ने केजीएमयू को उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

हाईकोर्ट ने दोबारा दिया आदेश, नहीं हुई कार्रवाई
वर्ष 2013 में डॉ. सचान, उनकी पत्नी, ट्रस्ट आदि के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी में करोड़ों रुपये की अघोषित आय का पता चला था। उनके ठिकानों से 1.76 करोड़ रुपये नकदी भी जब्त हुई थी। डॉ. सचान ने अपनी 8 करोड़ रुपये की अघोषित आय स्वीकारी थी। जांच में सामने आया था कि उनके कई अज्ञात बैंक खाते भी थे। बाद में यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था।

बीते वर्ष 6 फरवरी को हाईकोर्ट ने डॉ. सचान के सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, फार्मा कॉलेज आदि का संचालन करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार, चिकित्सा शिक्षा विभाग और केजीएमयू से कार्रवाई करने को कहा था। इसके बावजूद डॉ. सचान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ईडी ने बीते नवंबर माह में इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए डॉ. सचान की संपत्तियों की गोपनीय जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि उन्होंने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के साथ ही केजीएमयू के एक्ट का उल्लंघन भी किया है।

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