पाकिस्तान के लिए ‘जासूसी’ कर रहा चीन!

भारतीय जलसीमा के पास मछली पकड़ने वाली फौज ने बढ़ाई हलचल

(रिपोर्ट) : पाकिस्तान और चीन के रिश्ते सिर्फ दोस्ती तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह एक रणनीतिक गठबंधन के रूप में बदल चुके हैं. CPEC (चीन-पाक आर्थिक कॉरिडोर) जैसे प्रोजेक्ट्स में चीन ने भारी निवेश किया है और वो पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिरता में अपनी दिलचस्पी रखता है.

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से भारत के रिश्ते पाकिस्तान के साथ बेहद खराब हो गए हैं. दोनों के बीच तनाव बना हुआ है. चीन अब इस तनावपूर्ण रिश्ते के फायदा उठाने की फिराक में लगा हुआ है. वह भारतीय जलसीमा के बेहद करीब आ गया है और कथित तौर पर उसने ‘फिशिंग बोट्स’ के जरिए अरब सागर में अपनी जासूसी बढ़ा दी है, जिसका सीधा फायदा पाकिस्तान को होता दिख रहा है.

ये जहाज ‘फिशिंग बोट्स’ के रूप में सामने आए, लेकिन सूत्रों के अनुसार इनका असली मकसद भारतीय नौसेना की निगरानी करना और खुफिया जानकारी जुटाना हो सकता है. सूत्रों का यह भी कहना है कि पड़ोसी मुल्क की ये गतिविधि सिर्फ मछली पकड़ने तक सीमित नहीं लगती बल्कि यह चीन के दूरगामी जल बेड़े यानी Distant-Water Fleet की एक रणनैतिक तैनाती भी हो सकती है. इन जहाजों को Automatic Identification System (AIS) के जरिए एक मई को ट्रैक किया गया.

चीन की ‘फिशिंग फ्लीट’ चलता-फिरता रडार!
सूत्रों का कहना है कि ये जहाज न सिर्फ मछली पकड़ने के काम में लगे होते हैं, बल्कि ये ‘फॉरवर्ड लिसनिंग पोस्ट’ यानी आगे की निगरानी चौकियों के रूप में भी काम करने में सक्षम होते हैं. ये भारतीय युद्धपोतों की तैनाती, पेट्रोलिंग पैटर्न, और रेडियो कम्युनिकेशन को सुनने की क्षमता रखते हैं और ये फ्लीट मिली जानकारी को चीन की नौसेना और सुरक्षा एजेंसियों को भेज सकते हैं.

इस गतिविधि का भौगोलिक केंद्र अरब सागर का वो इलाका है जो पाकिस्तान के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (Exclusive Economic Zone) और ओमान की समुद्री सीमा के करीब है. खास बात यह है कि कराची बंदरगाह के पास इन जहाजों की संख्या अधिक देखी गई है, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि पाकिस्तानी बंदरगाहों से इन्हें लॉजिस्टिक या खुफिया समर्थन मिल रहा है.

क्या भारत के लिए समुद्र में कोई खतरा?
ये चीनी जहाज भारतीय नौसेना के जहाजों की मूवमेंट, कम्युनिकेशन और तैनाती का पैटर्न समझने में सक्षम हो सकते हैं. सूत्रों के अनुसार ये चीन के लिए ‘सुनने वाले पोस्ट’ का काम कर रहे हैं, यानी ये गुप्त रूप से रेडियो संकेत और गतिविधियां रिकॉर्ड कर चीन भेज सकते हैं.

भारत की जलसीमा के बेहद करीब पहुंचे चीनी जहाज

ये जहाज पाकिस्तान के सबसे बड़े बंदरगाह कराची बंदरगाह और ओमान के पास सक्रिय देखे गए, इससे यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि इन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा है.

ऐसे में सवाल उठता है कि भारत इन संभावित चुनौतियों के लिए क्या कर रहा है. फिलहाल भारतीय नौसेना और सुरक्षा एजेंसियां इस गतिविधि पर लगातार और गंभीर तरीके से नजर बनाए हुए हैं. सैटेलाइट, रडार और AIS ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए इनकी गतिविधियों की 24 घंटे निगरानी की जा रही है.

कथित तौर पर चीनी जहाजों के जरिए जासूसी को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं आया है, लेकिन सुरक्षा हलकों में इस पर गंभीर चर्चा चल रही है.

चीन की इस हरकत के पीछे की वजह
चीन की ये ‘फिशिंग फ्लीट’ असल में एक रणनीतिक हथियार बन गई है. ये बिना किसी हथियार के भी नौसैनिक जानकारी हासिल कर सकती हैं और ये देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. चीन की इस कथित हरकत के बाद एक बेहद महत्वपूर्ण लेकिन संवेदनशील सवाल भी खड़ा होता है. क्या चीन अरब सागर में पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा है?

पाकिस्तान के लिए चीन की ओर से जासूसी करने की संभावना भी काफी मजबूत है, और इसके पीछे कई वजहें भी हैं. पाकिस्तान और चीन के रिश्ते सिर्फ दोस्ती तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब यह एक रणनीतिक गठबंधन के रूप में बदल चुके हैं. CPEC (चीन-पाक आर्थिक कॉरिडोर) जैसे प्रोजेक्ट्स में चीन ने भारी निवेश किया है और वो पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिरता में अपनी दिलचस्पी रखता है.

इसके अलावा चीन ग्वादर पोर्ट के जरिए हिंद महासागर में स्थायी मौजूदगी चाहता है. ऐसे में अरब सागर में भारतीय नौसेना की गतिविधियों पर निगरानी रखना सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि पाकिस्तान दोनों के हित में है.

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