भारत को सियाचिन से लेकर मालदीव तक घेर रहा चीन
अब नहीं चेता तो हो जाएगी देर, विशेषज्ञ ने दी चेतावनी!

बीजिंग/नई दिल्ली: पड़ोसी एक दूसरे की मदद करने वाले माने जाते हैं। लेकिन भारत का पड़ोसी चीन लगातार उसके लिए एक मुसीबत बनता जा रहा है। चीन भारत के साथ व्यापार कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर चीन उसे ही चारों ओर से घेरता जा रहा है। पाकिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश और म्यांमार के सहारे भारत को चीन घेरने में लगा है।
उसके सिविल की तरह दिखने वाले मिलिट्री बेस लगातार भारत के पड़ोसी देशों में बन रहे हैं। इसके अलावा भारतीय सीमा के करीब चीन का इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एक बड़ा खतरा है। इसके बारे में एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं।
भारत भी कर रहा तैयारी
विंग कमांडर ने आगे भारत की साइड डेवलपमेंट की कमी पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘लद्दाख से लेकर अरुणाचल के पूर्वी हिस्से तक चीन के पास 17 एयरफील्ड्स हैं। 5 रेलवे स्टेशन हैं। पूरे बॉर्डर पर रेलवे लाइन चल रही है। उसके टैंक रेल में आते हैं। आपके खच्चरों पर जाते हैं। भारत की वर्तमान सरकार ने युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन पहले के 30-40 सालों की सुस्ती का खामियाजा इनके माथे आ रहा है। मोदी साहब ने स्थिति काफी सुधारी है। लेकिन अभी भी 6-7 साल और ऐसे ही काम करने की जरूरत है। भारत को अब चीन को दूसरी नजर से देखना चाहिए।’
मिलिट्री एक्सपर्ट ने कहा कि भारत को इनफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने की जरूरत
विंग कमांडर बख्शी ने सबसे पहले चेतावनी देते हुए कहा कि चीन कारगिल के दूसरी तरफ सड़क का निर्माण कर रहा है। इसके अलावा उसे पाकिस्तान से शक्सगान घाटी मिल गई है। जहां चीन रोड बना रहा है, वह सियाचिन ग्लेशियर के करीब है। यह चीन की ओर से एक बड़ा खतरा है।
वहीं यहां की सड़क चीन को ग्वादर तक जोड़ेगी। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के नाम पर चीन पीओके से लेकर अफगानिस्तान तक कंट्रोल चाहता है। अक्साई चिन पहले से चीन के पास है। ऐसे में उसके रोड के निर्माण से हमें जाग जाना चाहिए। कमांडर ने आगे कहा, ‘हम सिर्फ मीटिंग कर रहे हैं। कैलाश हाइट्स हमने वापस कर दी। हमारी नीतियों में अब बदलाव आना चाहिए।’
‘आर्मी की नहीं सुनी जाती बात’
विंग कमांडर बख्शी ने बातचीत में कहा कि हमारी ब्यूरोक्रेसी प्रधानमंत्री को ठीक एडवाइस नहीं करती है। इसीलिए आर्मी की बात सुनी नहीं जाती। हमारे यहां ITBP और सेना में इस बात की बहस होती है कि कौन गृह मंत्रालय से है और कौन रक्षा मंत्रालय से।
हमारी यह लड़ाई देख चीन हंसता है। यही देख अब चीन ज्यादा आक्रमक रवैया अपना रहा है। उन्होंने आगे कहा, ‘मालदीव में चीन आ गया है। म्यांमार के कोको आइलैंड में चीन बैठा है। जबकि वह हमारा था। श्रीलंका के हंबनटोटा के साथ उसे बांग्लादेश में भी बेस मिल गए हैं। यहां वह अपनी पनडुब्बी के मेंटीनेंस और रिपेयर का बेस बनाएगा, ताकि उसकी पनडुब्बियों को वापस चीन न जाना पड़े।’
अमेरिका और चीन के बीच होगा संघर्ष
विंग कमांडर बख्शी ने आगे कहा कि चीन अपनी हर कमजोरी को खत्म करने में लगा है। मलक्का स्ट्रेट का वह विकल्प बनाने में लगा है। वह थाईलैंड के साथ मिलकर एक नहर बना रहा है। यह पूछे जाने पर कि आखिर सियाचिन पर चीन की नजर क्यों है?
इसे लेकर विंग कमांडर बख्शी ने कहा, ‘इसकी स्ट्रैटेजिक वैल्यू बहुत है। वहां से पीओके डायरेक्ट कनेक्ट हो सकता है। लद्दाख से पीओके तक उसके लिए यह एक फ्रंट बन जाएगा। इसके बाद पाकिस्तान पर कंट्रोल आसान होगा। अभी बलोचिस्तान से बलोच उसे तंग कर रहे हैं। जिन्हें वह कंट्रोल में ले आएगा। अब अमेरिका बीच में आ रहा है और यहां अमेरिका और चीन का संघर्ष हो सकता है।’ उनसे आगे जब यह पूछा गया कि संघर्ष की संभावना कहां है, इसपर उन्होंने कहा कि पीओके में।